हम ज्यूडीशियल सिस्टम को नहीं होने देंगे लकवाग्रस्त : हाईकोर्ट

We will not let the judicial system to be paralyzed: High Court
हम ज्यूडीशियल सिस्टम को नहीं होने देंगे लकवाग्रस्त : हाईकोर्ट
हम ज्यूडीशियल सिस्टम को नहीं होने देंगे लकवाग्रस्त : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । वकीलों द्वारा की जाने वाली हड़ताल पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अतुल श्रीधरन की बेंच ने सुनवाई के दौरान दो टूक कहा- कभी सागर के वकील किसी मुद्दे पर हड़ताल पर चले जाते हैं तो कभी रीवा के। हर एक मुद्दे को लेकर हम ज्यूडीशियल सिस्टम को लकवाग्रस्त नहीं होने देंगे। बेंच ने साफ किया है कि अगली सुनवाई पर इस बात पर विचार किया जाएगा कि बार एसोसिएशन किन मुद्दों को लेकर अपने सदस्यों को अदालतों से गैरहाजिर रहने के आदेश दे सकेंगे।  इस मत के साथ बेंच ने अगली सुनवाई 9 मई को निर्धारित की है। 

गौरतलब है कि जबलपुर के अधिवक्ता प्रवीण पाण्डेय ने स्टेट बार काउन्सिल के चेयरमैन शिवेन्द्र उपाध्याय द्वारा  घोषित किए गए प्रोटेस्ट वीक के खिलाफ यह जनहित याचिका दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि अदालतों में जजों के खाली पदों को भरने, एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट जल्द लागू करने और कोर्ट परिसर में वकीलों के बैठने के लिए चेम्बर मुहैया कराने की मांगें पूरी न होने पर यह प्रोटेस्ट वीक 9 से 14 अप्रैल तक मनाने का ऐलान करके यह घोषणा भी की थी कि पूरे सप्ताह कोई भी अधिवक्ता अदालतों में हाजिर नहीं होगा। आवेदक का दावा था कि इस एक सप्ताह की हड़ताल से आम पक्षकारों को  काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

इस हड़ताल को अवैध ठहराए जाने के लिए यह याचिका दायर की गई थी। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ और स्टेट बार काउन्सिल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता ए श्रीवास्तव हाजिर हुए। सुनवाई के दौरान बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नागरथ से कहा कि इस मुद्दे को लेकर वे बार काउन्सिल के पैरोकार के बजाय अदालत मित्र के रूप में अपना पक्ष रखें, ताकि वकीलों की हड़ताल के मुद्दे पर एक गाइडलाइन बनाई जा सके। इस मत के साथ बेंच ने मामले की सुनवाई 9 मई तक के लिए मुलतवी कर दी। 

सुरक्षा वापस लेने पर विचार अगली पेशी परसुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर यह मुद्दा वकीलों के खिलाफ ही  दायर किया है। ऐसे में उन्हें पूर्व में दी गई सुरक्षा वापस ली जा सकती है। इस पर बेंच ने कहा कि आपकी सुरक्षा वापस लेने के मुद्दे पर अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा।

 

Created On :   2 May 2018 1:30 PM IST

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