सरकारी अस्पतालों के रिक्त पदों को भरने क्या कर रही सरकार

What government doing to fill the vacant posts of government hospitals
सरकारी अस्पतालों के रिक्त पदों को भरने क्या कर रही सरकार
सरकारी अस्पतालों के रिक्त पदों को भरने क्या कर रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है, कि राज्य भर में कोरोना का इलाज करने वाले सरकारी अस्पतालों में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ के स्थायी पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए हैं और भविष्य में कौन से कदम उठाए जाएंगे। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील राकेश भाटकर ने न्यायमूर्ति ए ए सैयद की खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार सिर्फ अस्थायी पदों पर ठेके पर और सिर्फ़ कोरोना काल के दौरान पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर रही है। जबकि बड़े पैमाने पर डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ के स्थायी पद रिक्त हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि नौकरी की सुरक्षा जरूरी है और सरकार सिर्फ अस्थायी पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन दे रही है। इसलिए सरकार हमे हलफनामा दायर कर बताए की उसने स्थायी रिक्त पदों को भरने के लिए कौन से कदम उठाए हैं? सुनवाई के दौरान सहायक सरकारी वकील ने कहा कि सरकार ने कई बार रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है लेकिन योग्य लोग नहीं सरकार रिक्त पदों को भरने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता खलील अहमद की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही हैं। याचिका में सरकारी अस्पतालों में रिक्त पदों को स्टाफिंग पैटर्न के हिसाब से भरने की मांग की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि सरकारी अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण लोग वहां पर इलाज नहीं कराते। कोर्ट ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 10 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

सुशांत मामले की रिपोर्टिंग में संयम बरते मीडियाः हाईकोर्ट

वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा हैै कि फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की रिपोर्टिंग को लेकर मीडिया संयम दिखाए व अंकुश लगाए।  गुरुवार को हाईकोर्ट ने दो जनहित यााचिकाओ पर सुनवाई के दौरान यह अपेक्षा व्यक्त की। हाईकोर्ट ने कहा कि मीडिया इस तरह से प्रकरण की रिपोर्टिंग करे जिससे जांच प्रभावित न हो। न्यायमूर्ति ए ए सैयद व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की खंडपीठ ने कहा कि हमारा आग्रह है कि मीडिया इस मामले की जांच की रिपोर्टिंग को लेकर संयम दिखाए। खंडपीठ के सामने दो याचिकाओ पर सुनवाई चल रही हैं। इसमें से एक याचिका राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीएस पसरीचा, संजीव दयाल व पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त एमएन सिंह सहित सेवानिवृत्ति आठ आईपीएस ने दायर की है। याचिका में मुख्य रूप से सुशांत मामले को लेकर जारी मीडिया ट्रायल को लेकर चिंता व्यक्त की गई है और इस पर रोक लगाने की मांग की गई हैं। याचिका दावा किया गया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मुंबई पुलिस के खिलाफ अभियान चला रहा है और देश के पुराने पुलिस दल  में से एक मुंबई पुलिस की साख व छवि को धूमिल कर रहा है। दूसरी याचिका फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा ने दायर की है। इससे पहले पहले सेवानिवृत्ति पुलिस अधिकारियों की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने कहा कि हमारे मुवक्किल को इस बात की परवाह नहीं है कि कौन सी एजेंसी प्रकरण की जांच कर रही है, वे मामले को लेकर जारी मीडिया ट्रायल व मुंबई पुलिस की छवि को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि न्यूज चैनल इस मामले की समानांतर जांच कर रहे हैं और मुंबई पुलिस के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। जो कि मानहानिपूर्ण है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम इस याचिका पर आगे सुनवाई से पहले केंद्र सरकार व सीबीआई का जवाब सुनना चाहते हैं। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 10 सितंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

 
 

Created On :   3 Sept 2020 5:56 PM IST

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