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कार्रवाई के बाद झोलाछाप डॉक्टरों की प्रैक्टिस रोकने क्या कर रही सरकार
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से माँगी रिपोर्ट, अगली सुनवाई 22 मार्च को
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में जिन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह आगे प्रैक्टिस नहीं करें। इसके लिए क्या कदम उठाएजा रहे हैं। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस संजय द्विवेदी की डिवीजन बैंच ने मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को नियत की है। साठिया कुआँ जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ऋषिकेश सराफ की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि जबलपुर सहित पूरे प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान झोलाछाप खुलेआम मरीजों के लिए अंग्रेजी दवाइयाँ लिख रहे हैं। शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। पिछली सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट माँगी थी कि प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार की ओर इस मामले में रिपोर्ट पेश की गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में केवल 30 जिलों में जाँच का हवाला दिया गया है, प्रदेश के शेष जिले छोड़ दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से यह भी नहीं बताया गया है कि जिन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उन्हें आगे प्रैक्टिस से रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि जिन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उन्हें आगे प्रैक्टिस से रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष प्रस्तुत किया।
Created On :   18 Feb 2021 4:18 PM IST