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ड्यूटी के दौरान कोरोना से जान गवाने पर मेडिकल और पुलिसवालों के परिजन को क्या मिलेगा लाभ?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण के चलते जान गवाने वाले डॉक्टर, नर्स व पुलिसकर्मियों के परिजनों को क्या लाभ मिलेगा। यह राज्य सरकार की ओर से 11 अप्रैल 2020 को जारी शासनादेश में स्पष्ट नहीं है। लिहाजा राज्य सरकार इस बारे में हलफनामा दायर करें। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने यह निर्देश पत्रकार केतन तिरोडक की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में मांग की गई है कि ड्यूटी के दौरान जान गवाने वाले डॉक्टर, नर्स व पुलिस अधिकारियों को शहीद का दर्जा व उचित मुआवजा दिया जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील अपर्णा वटकर ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना के कारण जान गवानेवाले स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिसकर्मियों के बलिदान को पहचान दे। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सिविलियन के लिए पद्मश्री व पदमविभूषण पुरस्कार का प्रावधान है। इनके लिए दूसरे अवार्ड व टाइटल का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
वहीं राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने कहा कि राज्य सरकार ने ड्यूटी के दौरान कोरोना के चलते जान गवाने वाले डॉक्टरों व पुलिसकर्मियों के लिए 50 लाख रुपए देने की घोषणा की है। इस संबंध में 11 अप्रैल 2020 को शासनादेश भी जारी किया है। राज्य सरकार केंद्र की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ भी राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को दे रही हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण के चलते जान गवाने वाले स्वास्थ्य व प्रशासकीय कर्मचारियों को क्या लाभ दे रही है। इसकी जानकारी वह हलफनामे में दे। जहां तक बात शाहिद का दर्जा देने की है तो यह सरकार व कार्यपालिका के दायरे में आता है। खंडपीठ ने अब याचिका पर 4 अगस्त को सुनवाई रखी है।
Created On :   31 July 2020 8:06 PM IST