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जब रायपुर के एक स्टेडियम में बन सकता है अस्थाई अस्पताल तो जबलपुर में क्यों नहीं?
जबलपुर में 5 दिन में मिले 2678 संक्रमित, इसी दौरान मरने वालों का सरकारी आँकड़ा 23 तक पहुँचा
डिजिटलय डेस्क जबलपुर । पूरे देश-प्रदेश के साथ जबलपुर में भी कोरोना के कारण हाहाकार मचा हुआ है। दूसरा दौर पहले की तुलना में ज्यादा खौफनाक है। दिन-प्रतिदिन कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पिछले 5 दिनों में 2678 संक्रमितों और 23 मृतकों का ग्राफ लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। कोरोना से निबटने की तैयारियाँ नाकाफी हैं। भोपाल और इंदौर की तुलना में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी पिछड़ा जबलपुर कोरोना काल में भी उपेक्षा का शिकार है। यहाँ ले देकर बड़े अस्पताल के रूप में एक मेडिकल कॉलेज ही है। यह इकलौता मेडिकल कॉलेज अपने आधे-अधूरे व्यवस्थाओं के साथ हाँफ रहा है। इसकी हालत ठीक वैसी ही है जैसे 50 किलो वजन ढोने की क्षमता वाले किसी व्यक्ति के सिर पर 100 किलो लाद दिया जाए।
दरअसल, मेडिकल कॉलेज का अस्पताल सिर्फ जबलपुर वासियों का ही अंतिम च्आश्रय स्थलज् नहीं अपितु पूरे महाकोशल, विंध्य और बुंदेलखंड के लिए भी वही भूमिका निभाता है। जबलपुर की इस महत्ता को जानते हुए भी राजधानी भोपाल में बैठने वाले मंत्री और नौकरशाह, प्रदेश के दूसरे महानगरों की तुलना में संस्कारधानी पर मेहरबानी करने से परहेज करते हैं। सामान्य दिनों की उपेक्षा के आदी ये लोग कोरोना काल में भी जबलपुर के साथ सौतेला व्यवहार करने से बाज नहीं आ रहे। दरअसल, भोपाल में बैठने वाले लोग जबलपुर को इसलिए भी नजरअंदाज कर पाते हैं क्योंकि जिन जन-प्रतिनिधियों पर यहाँ की आवाज उठाने की जिम्मेदारी है, वे व्यक्तिगत हित-लाभ से ऊपर नहीं उठ पाते हैं। जिन्हें सत्ता की मलाई चखने का अवसर मिल जाता है वे तो अपनी जुबान खोलते ही नहीं हैं और बाकी इसलिए मुँह नहीं खोलते क्योंकि उन्हें भी पता है कि मुँह बंद रखने की भी कीमत होती है। ऐसी स्थिति में इक्का-दुक्का जो आवाज उठती भी है वह नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित होती है।
अभी मंगलवार की ही तो बात है। मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त यहाँ के कोरोना प्रभारी मंत्री जो राज्य के सहकारिता मंत्री भी हैं, जबलपुर आए थे और सर्किट हाउस में क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में जबानी जमा खर्च करके चले गए। मंत्री जी जब यहाँ फिल्मी अभिनेता की तरह सब कुछ ठीक कर देने के दावे कर रहे थे, उसी दिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की एक खबर वायरल हो रही थी। वहाँ के एक इंडोर स्टेडियम को कोरोना अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। सरकार ने महज चार दिन में यह करने का दावा किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस सेंटर का वर्चुअल निरीक्षण किया था। इंडोर स्टेडियम में बने अस्पताल में 360 बेड लगे हैं, जिसमें 286 बिस्तर ऑक्सीजन के साथ जबकि 74 आइसोलेशन बेड हैं। इस अस्थाई कोविड अस्पताल में फिल्में, समाचार, टीवी, कैरम व अन्य इंडोर गेम, वार्ड में इंटर कॉम और फ्री वाई-फाई का भी इंतजाम है।
भास्कर बहुत ही जिम्मेदारी के साथ शासन और प्रशासन से यह सवाल पूछना चाहता है कि जब रायपुर में अस्थाई अस्पताल बनाना संभव है तो जबलपुर में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? यहाँ भी राइट टाउन स्टेडियम, घंटाघर के पास बन रहे कन्वेंशन सेंटर और कॉलेजों तथा सरकारी भवनों में अस्थाई अस्पताल बनाए जाने चाहिए, ताकि इलाज के अभाव में किसी कोरोना संक्रमित की मौत न हो।
Created On :   15 April 2021 8:40 AM GMT