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नदी से मलबा हटाया की नहीं, देखने खुद पुणे जाएंगे मुख्य न्यायाधीश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य मलबा को नदी में डालने के मामले को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा है कि पुणे की मुला-मूठा नदी से डाला गया मलबा हटाया गया कि नहीं इसे देखने वे खुद पुणे जाएंगे। क्योंकि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई तस्वीरे दर्शाती है कि नदीं विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता सारंग याडवडकर ने जनहित याचिका दायर की है।
शुक्रवार को खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका में दावा किया गया है कि पुणे मेट्रो रेल प्रोजेक्ट से निकलनेवाला मलबा नदीं में फेका गया है। यह पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन है। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पुणे महानगरपालिका को नदी से मलबा हटाने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई तस्वीरों पर गौर करने के बाद पाया कि नदी में निर्माणकार्य से निकला मलबा फेका गया है। इस पर पुणे मनपा के वकील ने कहा कि यह मलबा मेट्रो रेल के ठेकेदार ने फेका होगा।
इस दलील पर खंडपीठ ने कहा कि ठेकेदार निजी व्यक्ति है। ऐसे में राज्य सरकार व स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी बनती है कि वे देखे कि नियमों का उल्लंघन न हो। इसलिए नदी से मलबा हटाने की दिशा में तत्काल कदम उठाए जाए। हम खुद यह देखने पुणे जाएंगे कि नदी से मलबा हटाया गया अथवा नहीं।नदी के पूरे पट्टे को स्वच्छ किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई तस्वीरे दर्शाती हैं कि नदी विलुप्त होने की स्थिति में पहुंच गई है। खंडपीठ ने पुणे के जिलाधिकारी व पुणे मनपा को नदी की सफाई को लेकर ताजा रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
Created On :   9 July 2021 9:09 PM IST