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दुष्कर्म के आरोप में सजायाफ्ता कैदियों को क्यों छोड़ा जा रहा पैरोल पर
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि दुष्कर्म के आरोप में सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर क्यों छोड़ा जा रहा है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने 12 जुलाई तक जवाब देने का िनर्देश दिया है।
यह है मामला-
यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 22 सितंबर 2020 को आदेश जारी कर कहा है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए जेलों में संख्या कम करने के लिए सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाएगा। इस आदेश के तहत दुष्कर्म के आरोप में सजा काट रहे कैदियों को भी पैरोल पर छोड़ा जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च 2020 को आदेश जारी किया था कि जेल में बंद कैदियों को छोडऩे के लिए राज्य सरकार हाई पॉवर कमेटी का गठन करेगी। हाई पॉवर कमेटी द्वारा यह निर्धारित किया जाएगा कि किस श्रेणी के कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाएगा। इस संबंध में मप्र हाईकोर्ट ने भी आदेश जारी किया था।
कैदियों की श्रेणी तय नहीं की गई-
अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने हाई पॉवर कमेटी का गठन किया है। हाई पॉवर कमेटी ने कैदियों की श्रेणी तय नहीं की है। इससे दुष्कर्म के आरोप में सजा काट रहे कैदी भी पैरोल पर रिहा हो रहे हैं, जो समाज के लिए खतरा बन सकते हैं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
Created On :   5 July 2021 9:53 PM IST