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पुलिस ने नाबालिग की पहचान क्यों की उजागर?

हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाकर केन्द्र व राज्य सरकार सहित अन्य को जारी किए नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर । एक अपराधिक प्रकरण में पुलिस द्वारा नाबालिग की पहचान सार्वजनिक किये जाने को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने मामले पर केन्द्र व राज्य सरकार सहित अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए 6 सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है। जबलपुर निवासी अधिवक्ता धीरज कुमार कुकरेजा और पीडि़त नाबालिग की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी आपराधिक मामले में शामिल किशोर की पहचान को सार्वजनिक न करने के दिशा-निर्देश जारी किये है। इसके बाद भी 1 जुलाई को 2019 को क्राइम ब्रांच ने अवैध रूप से छापेमारी कर क्रिकेट मैच सट्टे के अपराध में याचिकाकर्ता नाबालिग के खिलाफ झूठा प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच और थाना प्रभारी माढ़ोताल जबलपुर ने विस्तार से विभिन्न दस्तावेजों में नाबालिग याचिकाकर्ता की पहचान का खुलासा किया, जो सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। इन आधारों के साथ दायर याचिका में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव, राष्ट्रीय बाल आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग भोपाल के सचिव, राज्य बाल आयोग, गृह सचिव, डीजीपी, आईजी जबलपुर, जबलपुर एसपी और माढ़ोताल थाना प्रभारी को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता धीरज कुमार तिवारी पैरवी कर रहे हैं।
Created On :   27 Feb 2020 2:03 PM IST