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पहली से तलाक के बिना दूसरी को नहीं मिलेगा पत्नी का दर्जा

डिजिटल डेस्क जबलपुर। एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कानून में दिए गए पत्नी शब्द को परिभाषित किया है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने कहा है कि पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी को कानूनन पत्नी नहीं माना जा सकता। ऐसे में पत्नी द्वारा आत्महत्या करने पर उसके पति को दुष्प्रेरण का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस मत के साथ अदालत ने 23 साल पहले एक आरोपी को दी गई 5 साल की सजा निरस्त कर दी।
हाईकोर्ट में यह अपील नरसिंहपुर निवासी दिनेश कुमार सोनी की ओर से वर्ष 1997 में दायर की गई थी। अपील में गाडरवारा के एडीजे द्वारा वर्ष 1997 में भादंवि की धारा 306 व धारा 498 के तहत दी गई 5 साल की सजा को चुनौती दी थी। मामले में आरोपी की ओर से पैरवी के लिए अधिवक्ता प्रियंका मिश्रा को कोर्ट मित्र नियुक्त किया गया था। सुनवाई के दौरान उन्होंने ब्लैक लॉ डिक्शनरी में दी गई पत्नी की परिभाषा का हवाला देकर कहा कि आरोपी ने अपनी पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया था। बिना तलाक के वह ममता नामक दूसरी महिला के साथ रहने लगा था। चूंकि ममता आरोपी की वैध पत्नी नहीं थी, इसलिए उसके द्वारा की गई आत्महत्या के लिए आरोपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस मामले में ममता के मायके पक्ष की शिकायत पर भादंिव की धारा धारा 498, 304 बी एवं 306 के अंतर्गत दर्ज मामला और उस पर सुनाई गई सजा अनुचित है। पूरे मामले पर गौर करने के बाद अदालत ने अपील मंजूर करके आरोपी को दी गई सजा निरस्त कर दी।
Created On :   9 Jan 2020 10:24 PM IST