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महिला बाल विकास विभाग की पहल , 12वीं पास महिलाओं को आंगनबाड़ी का जिम्मा

डिजिटल डेस्क,सतना। महिला बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा देने के लिए एक और पहल की है। इसके तहत जिले में 12वीं पास किशोरी और महिलाएं बच्चों को शिक्षित करेंगी। हालांकि इसके लिए उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि एक आंगनबाड़ी के लिए एक किशोरी का चयन कर सरकार उनसे निशुल्क बीएसडब्ल्यू (बैचलर ऑफ सोसल वर्क) करवाया जाएगा। दरअसल जिले भर में शहरी और ग्रामीण परियोजनाओं को मिलाकर तकरीबन 3 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं। आधे से अधिक केंद्रों की सहायिकाएं 12 वीं पास नहीं हैं, जिससे इन केंद्रों के बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा नहीं मिल पाती है। विभागीय आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जिले भर में 6 माह से 6 साल तक के तकरीबन 2 लाख बच्चे पंजीबद्ध हैं। डायरेक्ट्रेट से निर्देश मिलने के बाद सभी परियोजना अधिकारियों को जिला महिला बाल विकास कार्यालय से पत्र जारी कर निर्देशित किया गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के आस-पास गांव की 12 वीं पास जो किशोरियां और महिलाएं केंद्रों में पढ़ाने की इच्छुक हैं उनके आवेदन लेकर आगे की प्रक्रिया पूरी कराएं। किशोरियों का अंतिम चयन संबंधित परियोजना अधिकारी ही करेंगे।
ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र सप्ताह में एक-दो दिन ही खुलते हैं। परियोजना अधिकारियों की लापरवाही के चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मनमानी पर उतारू हैं। कुछ केंद्र तो ऐसे हैं जहां बच्चे कभी आते ही नहीं। इनका संचालन सिर्फ कागजों पर हो रहा है। यहां पोषण आहार हर महीने कागजों पर बंट जाता है और कागजों पर ये केंद्र रोज निर्धारित समय में खुलते और बंद होते हैं। जिले के 20 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां पठन-पाठन नाम की कोई सामग्री ही नहीं हैं। कुछ में तो ब्लैक बोर्ड और कैलेंडर तक नहीं हैं जिनसे बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा दी जा सके। महिला बाल विकास डीपीओ मनीष सेठ का कहना है कि सभी परियोजना अधिकारियों को 12 वीं पास किशोरियों के चयन संबंधी निर्देश दिए गए हैं। कार्य में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Created On :   15 Aug 2017 10:34 AM IST