दुनिया ने माना भारतीय फार्मा की शक्ति का लोहा -फडणवीस
डिजिटल डेस्क, नागपुर. कोविडकाल में भारतीय फार्मा क्षेत्र ने सबसे पहले टीका तैयार किया। टीके के लिए जरूरी कच्चा माल तैयार किया। उत्पादन शुरू होते ही सर्वाधिक तेजी से देशभर में टीकों की आपूर्ति की। भारतीयों को नि:शुल्क कोविड के टीके उपलब्ध हुए। भारत में तैयार टीके ने दुनियाभर के 106 देशों के नागरिकों की जान बचाने का काम किया है। अनुसंधान व निर्माण के क्षेत्र में भारतीय फार्मा की शक्ति का लोहा पूरी दुनिया ने माना। यह देश के लिए गर्व की बात है। यह बात उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कही। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के जमनालाल बजाज प्रशासकीय भवन परिसर के मुख्य सभागृह में तीन दिवसीय इंडियन फार्मास्यूटिकल कांग्रेस (आईपीसी) का समापन हुआ। समापन समारोह में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बोल रहे थे। आईपीसी का आयोजन इंडियन फार्मास्यूटिकल कांग्रेस एसोसिएशन और विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल साइंस विभाग ने किया था।
अनुसंधान की आवश्यकता
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि औषधि क्षेत्र में अनुसंधान की आवश्यकता है। कच्चे माल के लिए दूसरों पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। कच्चे माल के निर्माण के लिए बल्क ड्रग पार्क तैयार किया जाएगा। इसके लिए राज्य में जमीन की तलाश की जा रही है। इसके साथ ही औषधि व उपकरण निर्माण के लिए ईको सिस्टम तैयार किया जाएगा।
साइंटिफिक पोस्टर तैयार करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार : कार्यक्रम में ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के अध्यक्ष जगन्नाथ एस. शिंदे, ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजूकेशन के सलाहकार डॉ. राजेंद्र काकडे, रातुम नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी, इंडियन हॉस्पिटल फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष टी. वी. नारायणा, आयोजन समिति के अध्यक्ष अतुल मंडलेकर सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। आईपीसी में कुछ प्रस्ताव विचाराधीन रखे गए हैं। इसमें 1948 के फार्मसी एक्ट की धारा 42 का पालन होना चाहिए, फार्मसी प्रैक्टिस रेग्यूलेशन पर अमल होना चाहिए, औषधि से संबंधित निर्णय प्रक्रिया में फार्मासिस्ट की सहभागिता हो और फार्मासिस्ट वर्ग के पद की पात्रता पीसीआई और सरकार को निश्चित करना चाहिए। आईपीसी में देशभर से 3000 साइंटिफिक पोस्टर प्राप्त हुए थे। इनमें से 80 पोस्टरों का उत्कृष्ट पोस्टर के रूप में चयन किया गया। पोस्टर तैयार करने वाले 57 विद्यार्थियों को मौखिक प्रस्तुतिकरण का मौका दिया गया। इनमें से 10 विद्यार्थियों को उपमुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कार प्रदान किया गया।
दवा विक्रेताओं को बनना होगा सेवा प्रदाता : डॉ. जॉर्डन
दवा विक्रेताओं को व्यावसायिकता के साथ सेवा प्रदाता भी बनना जरूरी है। कोविडकाल में उनकी यह भूमिका देखने को मिली है। दुनिया के अनेक देशों के दवा विक्रेताओं ने व्यवसाय के अलावा मरीजों को सलाह और दवाओं की घर पहुंच सेवा देने, स्क्रीनिंग टेस्ट, टीकाकरण आदि काम किया है। समय के साथ दवा विक्रेताओं की भूमिका में बदलाव हो रहा है। यह बात इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल फेडरेशन नेदरलैंड के अध्यक्ष डॉ. डॉमनिक जॉर्डन ने कही।
इंडियन फार्मास्यूटिकल कांग्रेस (आईपीसी) के तीसरे दिन ‘कम्युनिटी फार्मासिस्ट सिनारिओ : ग्लोमबल टू लोकल’ विषय पर केमिस्ट व ड्रगिस्ट कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। इस अवसर पर बतौर विशेष अतिथि डॉ. जॉर्डन बोल रहे थे। उन्होंने कम्युनिटी फार्मासिस्ट की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि फार्मा क्षेत्र के सामने नई तकनीक, नई उपचार पद्धति, बढ़ती स्पर्धा, चिकित्सा सेवा का बढ़ता खर्च आदि चुनौतियां हैं।
सर्वोत्तम सेवा देना जरूरी : शिंदे
ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जगन्नाथ एस. शिंदे प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि ग्लोबल और लोकल की दूरी कम होने लगी है। अब देश गैट फैमिली का सदस्य बनने से हमारी स्पर्धा विश्व स्तर के बाजारों से होगी। अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक के साथ सर्वोत्तम सेवा देना जरूरी है। उन्होंने बताया कि देश में 60 फीसदी महिला फार्मासिस्ट है। उन्हें प्रशिक्षण दिया गया तो वे ग्राहकों को सर्वोत्तम सेवा दे सकती है। उन्होंने बताया कि फार्मासिस्ट को अपग्रेड करने के लिए कम्युनिटी ट्रेनिंग दी जा रही है। फार्मासिस्ट के अपग्रेडेशन के लिए सरकार को नीति-नियम बदलना चाहिए। इस व्यवसाय में नई पीढ़ी आगे आ रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि बीमारियों के लिए स्पेशलाइल्ड फार्मसी का उदय होगा।
Created On :   23 Jan 2023 7:27 PM IST