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Panna News: टिकुरी ग्राम में अमृत सरोवर तालाब बना भ्रष्टाचार का नमूना

- टिकुरी ग्राम में अमृत सरोवर तालाब बना भ्रष्टाचार का नमूना
- नियमों की अनदेखी और धांधली
Panna News: केन्द्र व राज्य सरकारों की जल संरक्षण और संवर्धन की महत्वाकांक्षी योजनाओं के बावजूद जमीनी हकीकत अक्सर निराश करती है। ऐसा ही एक मामला पन्ना जिले के पवई जनपद के आदिवासी बहुल गांव टिकुरी से सामने आया है जहां लगभग 98.99 लाख रुपये की लागत से बना अमृत सरोवर तालाब भ्रष्टाचार और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। यह तालाब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग पन्ना द्वारा बनवाया गया था। योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देना था लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे काम में मशीनों का धडल्ले से इस्तेमाल किया गया और मजदूरों को काम नहीं मिला।
नियमों की अनदेखी और धांधली
ग्रामीणों के अनुसार निर्माण कार्य में मनरेगा के नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। योजना के तहत मजदूरों को 5 किलोमीटर के दायरे से ही काम पर बुलाया जा सकता है और अगर दूरी 5 किलोमीटर से ज़्यादा हो तो उन्हें 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी देने का प्रावधान है लेकिन टिकुरी में 40-40 किलोमीटर दूर की पंचायतों के मजदूरों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल लगाकर भुगतान किया गया। गांव के लोगों का साफ कहना है कि उन्हें न तो काम मिला और न ही मजदूरी मिली।
घटिया निर्माण और बेअसर उद्देश्य
तालाब के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है जिसकी वजह से इसकी स्थिति बेहद खराब है। तालाब का वेस्ट वियर अतिरिक्त पानी निकालने का रास्ता भी ग्राउंड लेवल पर बना दिया गया है और वह भी चारों तरफ से क्षतिग्रस्त है। इसका नतीजा यह है कि लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी तालाब में पानी जमा नहीं होता। पानी की निकासी सही न होने और पिचिंग के कमजोर होने की वजह से थोड़ी सी बारिश में ही इसके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस तालाब का निर्माण उन उद्देश्यों को पूरा नहीं कर रहा है। जिनके लिए इसे बनाया गया था न तो जल संरक्षण हो रहा है और न ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है यह सरकारी धन की बर्बादी का स्पष्ट मामला है।
ग्रामीणों की मांग
टिकुरी के निवासियों ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि निर्माण कार्य में हुई अनियमितताओं और घटिया सामग्री के इस्तेमाल की जांच की जाए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूली कर तालाब का सही तरीके से निर्माण कराने की अपील की है जिससे यह अपनी उपयोगिता साबित कर सके और सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंच सके। यह वाक्या दर्शाता है कि कैसे सरकार की अच्छी नीयत वाली योजनाएं भी भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ जाती हैं और इसका खामियाजा सीधे तौर पर आम जनता को भुगतना पड़ता है।
इनका कहना है
स्टीमेट के आधार पर कार्य कराया गया है।
धीरज चौधरी, एसडीओ ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग पवई
Created On :   6 Aug 2025 12:38 PM IST