Panna News: रैपुरा में लंबे समय बाद गूंजी रामलीला की गाथा, डिजिटल युग के दौर में लोग फिर लौटे परम्परा की ओर

रैपुरा में लंबे समय बाद गूंजी रामलीला की गाथा, डिजिटल युग के दौर में लोग फिर लौटे परम्परा की ओर

Panna News: रैपुरा कस्बे में छह वर्षों बाद रामलीला का मंचन शुरू होने से वातावरण में धार्मिकता और उत्साह दोनों का संचार हो गया है। आधुनिक डिजिटल युग, मोबाइल और इंटरनेट की चकाचौंध से परे लोग बड़ी संख्या में इस सांस्कृतिक आयोजन को देखने गांधी चबूतरा में एकत्र हो रहे हैं। स्थानीय समाजसेवियों के प्रयासों से पुन: शुरू हुई रामलीला ने गाँव-कस्बे के बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों तक को आकर्षित किया है। देर शाम होते ही पूरा मैदान रोशनी और जयकारों से गूँज उठता है। छोटे-छोटे बच्चे पात्रों का अभिनय देखकर प्रसन्न होते हैं वहीं बुज़ुर्ग अपने बचपन की यादें ताज़ा करती नजऱ आती हैं।

आयोजकों का कहना है कि रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि समाज को जोडऩे और परंपराओं को जीवित रखने का माध्यम है। इससे नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुडऩे का अवसर मिलता है। आज जब डिजिटल मनोरंजन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है ऐसे में रैपुरा की रामलीला एक सुखद संदेश देती है कि सांस्कृतिक धरोहरें कभी पुरानी नहीं होतीं बल्कि समय-समय पर समाज को नया उत्साह और ऊर्जा देती हैं। नवरात्रि से कुछ सप्ताह पहले आयोजकों ने संकटमोचन धाम में रामलीला के आयोजन के संबंध में बैठके शुरू की। लोगों की राय पर एक कमेटी का गठन किया। जिसके बाद शुरू हुआ तैयारियों का दौर जहां गांव के ही बच्चे, युवा एवं बुजुर्ग कलाकारों ने अपने अभिनय के रंग को बिखेरना शुरू किया। गांव के शिक्षक राजीव खरे बताते हैं कि वह निर्देशन एवं संचालन का कार्य संभालते हैं तो उनके भाई संजीव खरे, सुनील अग्रवाल एवं उजियार लोधी मिलकर निर्देशन के साथ-साथ साज सज्जा का कार्य करते हैं। गांव के ही पंडित रामसेवक दुबे व्यास हैं। वहीं संगीत का कार्यभार भी संभालते हैं।

Created On :   26 Sept 2025 11:44 AM IST

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