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Panna News: श्री प्राणनाथ के जयकारों से गूंजा पूरा पन्ना, देश-विदेश से आए सुंदरसाथ ने श्रीजी का लिया आशीर्वाद

- श्री प्राणनाथ के जयकारों से गूंजा पूरा पन्ना
- देश-विदेश से आए सुंदरसाथ ने श्रीजी का लिया आशीर्वाद
Panna News: प्राचीन मंदिरों की नगरी पन्ना में प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है जो प्रणामी धर्म का सबसे बडा तीर्थ स्थल माना जाता है। शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को प्रणामी धर्मावलम्बी पृथ्वी परिक्रमा कहते हैं। यह परंपरा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना धाम में लगभग चार सौ सालों से चली आ रही है। ज्ञात हो कि शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने-कोने से यहां सुंदरसाथ पहुंचते हैं। पन्ना धाम में 05 नवम्बर बुधवार को देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु सुंदरसाथ ने एक साथ नगर के बाहरी हिस्से में जंगल होते हुए परिक्रमा लगाकर अपने आप को धन्य महशूस किया।
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भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप को खोजते हैं सुंदरसाथ
यहाँ किलकिला नदीं के किनारे व पहाडियों के बीचों-बीच बसे समूचे पन्ना नगर के चारों तरफ परिक्रमा लगाकर भगवान श्री कृष्ण के उस स्वरूप को खोजते हैं जो कि शरद पूर्णिमा की रासलीला में उन्होंने देखा और अनुभव किया है। अंतध्र्यान हो चुके प्रियतम श्री प्राणनाथ को उनके प्रेमी सुन्दरसाथ भाव विभोर होकर नदीं, नालों, पहाडों तथा घने जंगल में हर कहीं खोजते हैं। दूसरा इस पावन भूमि पर महामती श्री प्राणनाथ जी ने परमधाम में सतत चलने वाले अखंड रास की अनुभूति साक्षात अपने अनुयायियों को कराई थी जिस कारण से पन्ना की भूमि का नाता परमधाम के स्वरूप मानकर इस भूमि की परिक्रमा कर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को प्रणामी धर्मावलम्बी पृथ्वी परिक्रमा कहते हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना धाम में लगभग चार सौ सालों से चली आ रही है। प्राचीन भव्य मंदिरों के इस शहर पन्ना में प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है जो प्रणामी धर्म का सबसे बडा तीर्थ स्थल माना जाता है।
विश्व कल्याण का संदेश देती अनूठी परंपरा
प्रकृति के निकट रहने तथा विश्व कल्याण व साम्प्रदायिक सद्भाव की सीख देने वाली इस अनूठी परम्परा को प्रणामी संप्रदाय के प्रणेता महामति श्री प्राणनाथ जी ने आज से लगभग 400 साल पहले शुरू किया था जो आज भी अनवरत् जारी है। इस परम्परा का अनुकरण करने वालों का मानना है कि पृथ्वी परिक्रमा से उनको सुखद अनुभूति तथा शान्ति मिलती है।
संपूर्ण परिक्रमा की दूरी करीब 20 किलोमीटर
चारो तरफ फैली हरीतिमा तथा जल प्रपात का कर्णप्रिय संगीत और जहाँ-तहाँ चट्टानों पर बैठकर विश्राम करती श्रद्धालुओं की टोली, सब कुछ बहुत ही मनभावन लगता है। जानकारों के मुताबिक इस परिक्रमा की दूरी करीब 20 किलोमीटर के आसपास होती है। पहाडी को पार करते हुये मदार साहब, धरमसागर व अघोर होकर यह विशाल कारवां खेजडा मंदिर पहुंचता है। खेजडा मंदिर पहुंचने पर वहां महाआरती व प्रसाद वितरण होता है। तत्पश्चात सभी सुन्दरसाथ उसी स्थान पर पहुंचते हैं जहां से परिक्रमा शुरू की गई थी।
श्रद्धालुओं का वरिष्ठ अधिवक्ता ने किया स्वागत
शहर के इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित पार्क में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित रामलखन त्रिपाठी ने अपने सभी सहयोगियों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु सुंदरसाथ का स्वागत किया। गौरतलब हो कि अधिवक्ता श्री त्रिपाठी सुबह से लेकर शाम तक परिक्रमा मार्ग से निकलने वाले सभी श्रद्धालुओं का चाय पिलाकर एवं बिस्कुट खिलाकर स्वागत करते हैं। इस अवसर श्रीकांत दीक्षित, गौरीशंकर गुप्ता, श्रीमती शारदा पाठक, अंकुर त्रिवेदी, स्वतंत्र प्रभाकर अवस्थी, अनुपम त्रिपाठी, सौरभ पटैरिया, रज्जू खैरहा, रामलाल त्रिपाठी, मनीष मिश्रा, सुनील अवस्थी, गरिमा जैन, चंद्रपाल प्रजापति, राजकुमार सेन, हीरालाल विश्वकर्मा, महेश जैन, वीरेंद्र चौरसिया सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
Created On :   6 Nov 2025 5:50 PM IST














