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Panna News: शहपुरा ग्राम की प्राचीन एवं धार्मिक धरोहर का अस्तित्व संकट में

- शहपुरा ग्राम की प्राचीन एवं धार्मिक धरोहर का अस्तित्व संकट में
- माँ शारदा मंदिर हुआ जीर्णशीर्ण
- परिसर व पहुंच मार्ग अतिक्रमण की चपेट में
Panna News: विकासखण्ड पन्ना के ग्राम पंचायत लुहराहाई अंतर्गत शहपुरा गांव की धार्मिक धरोहर और ग्रामीणों की आस्था का केन्द्र माँ शारदा मंदिर आज उपेक्षा और अतिक्रमण की मार झेल रहा है। गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है लेकिन आज इसकी हालत जर्जर हो चुकी है। 95 वर्षीय स्थानीय बुजुर्ग कोदू यादव बताते हैं कि यह मंदिर लगभग डेढ़ सौ साल पुराना सिद्ध स्थल रहा है जहां क्षेत्र के लोग बड़े धार्मिक आयोजन और सामूहिक कार्यक्र्रम किया करते थे। मंदिर तक पहुंचने का रास्ता पहले चौड़ा और सुविधाजनक था मंदिर परिसर की पर्याप्त भूमि सुरक्षित थी जहां श्रद्धालु सहजता से जुटते थे लेकिन वर्तमान में रास्ते पर अेितक्रमण कर खेती कर ली गई है। नतीजन अब श्रद्धालुओं को केवल 3-4 फुट संकरे और जर्जर रास्ते से होकर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्तियां भी अब खंडित होने लगी हैं जिनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए किसी स्तर पर सार्थक प्रयास नहीं किए गए। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत प्रशासन ने इस ऐतिहासिक और पावन धरोहर के संरक्षण हेतु अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। श्रद्धालुजनों ने मांग की है कि मां शारदा मंदिर और इसकी प्राचीन धरोहरों को संरक्षित किया जाए तथा मंदिर तक पहुँचने के रास्ते को अविलंब साफ और सुविधाजनक बनाया जाए।
बिखर गया दुल्हिया बाबा का प्राचीन चबूतरा
मां के मंदिर के पास स्थित दुल्हिया बाबा का चबूतरा उपेक्षा का शिकार होकर जर्जर हाल में पहुंच गया है। बताया जाता है कि अंचल के यादव समाज के लिए यह स्थान आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना व विभिन्न धार्मिक तथा सामाजिक आयोजन किया करते थे लेकिन समय रहते रखरखाव और संरक्षण के अभाव में आज यह चबूतरा बिखर चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी पूरे क्षेत्र के लोग यहां धार्मिक उत्सवों में एकत्रित होते थे और इसे देवस्थान के रूप में मान्यता देते थे। अब स्थिति यह है कि चबूतरे के टूटे अवशेष ही इसके अस्तित्व की निशानी बने हुए हैं।
शहपुरा गांव की प्यास बुझाने वाला एकमात्र कुुआ भी यहीं पर
शहपुरा क्षेत्र के एक गांव में पेयजल संकट और अतिक्रमण के कारण ग्रामीण लंबे समय से परेशान हैं। करीब एक हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में नियमित स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था न होने से ग्रामीणों को 12 माह मंदिर परिसर स्थित कुंए पर निर्भर रहना पड़ता है। गांव में पानी की कोई स्थायी व्यवस्था न होने से प्रतिदिन ग्रामीण माँ शारदा मंदिर के समीप बने पुराने कुंए से पानी भरने पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कुंए में सालभर पानी उपलब्ध रहता है लेकिन उसका सही रखरखाव तक नहीं किया जा रहा। समस्या तब और भी गंभीर हो जाती है जब ग्रामीण खासकर महिलाएं रोजाना पानी भरने के लिए लगभग एक किलोमीटर दूर कुंए तक पहुंचती हैं। यह रास्ता अब किसानों द्वारा किए गए अतिक्रमण के चलते छोटा और खराब हो चुका है। इसी कारण पानी ले जाने वाले लोगों को रोजाना कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने कई बार अतिक्रमण हटाकर मंदिर और कुंए तक जाने के लिए उचित मार्ग तैयार करने की मांग की है लेकिन पंचायत प्रशासन ने स्वयं को असक्षम बताते हुए जिम्मेदारी टाल दी। वहीं राजस्व अधिकारियों ने भी मामले को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
इनका कहना है
मंदिर क्षेत्र को संरक्षित करने से संबंधित कार्य के लिए हमारे पास बजट व्यवस्था नहीं है जहां तक बात सडक निर्माण की है यह कार्य पंचायत के सामने लाया जायेगा और वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी देगें।
रमेश यादव
सचिव ग्राम पंचायत लुहराई जपं पन्ना
Created On :   8 Sept 2025 12:25 PM IST