Panna News: ऐतिहासिक मानसागर तालाब का अस्तित्व खतरे में, उपेक्षा और अतिक्रमण ने छींन ली सुंदरता

ऐतिहासिक मानसागर तालाब का अस्तित्व खतरे में, उपेक्षा और अतिक्रमण ने छींन ली सुंदरता
  • ऐतिहासिक मानसागर तालाब का अस्तित्व खतरे में
  • उपेक्षा और अतिक्रमण ने छींन ली सुंदरता

Panna News: पन्ना जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत महेबा में स्थित ऐतिहासिक मानसागर तालाब आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। कभी 65 से 70 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध यह तालाब अब उपेक्षा अतिक्रमण व प्रदूषण का शिकार होकर सिकुड़ता जा रहा है। तालाब के चारों ओर लगातार बढ़ते अतिक्रमण ने न केवल इसकी सुंदरता को नष्ट किया है बल्कि इसके पारंपरिक स्वरूप को भी बिगाड़ दिया है। तालाब के किनारे बने प्राचीन घाट पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और जगह-जगह कचरे और गंदगी के ढेर दिखाई देते हैं। जो तालाब कभी ग्रामीणों के लिए जीवन का आधार था आज वह अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है।

बदहाली की दास्तान, कैसे खत्म हुआ तालाब का गौरव

सदियों पुराना मानसागर तालाब कभी महेबा और आसपास के गाँवों के लिए जीवनरेखा था। यह न केवल पेयजल और सिंचाई का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत था बल्कि यहाँ की जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन में भी इसका अहम योगदान था। तालाब से जुड़ी नहरें सैकड़ों किसानों के खेतों तक पानी पहुँचाती थीं जिससे कृषि उपज में वृद्धि होती थी मगर समय के साथ इस विशाल जल निकाय को सरकारी और स्थानीय स्तर पर अनदेखी का सामना करना पड़ा। पिछले कई दशकों से इसकी साफ.-सफाई और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया जिसके परिणामस्वरूप तालाब में गाद जमा होने लगी और इसकी जलधारण क्षमता लगातार कम होती गई। अतिक्रमणकारियों ने इस स्थिति का फायदा उठाया और तालाब के किनारों पर अवैध रूप से कब्जा करना शुरू कर दिया। यह अतिक्रमण न केवल तालाब के क्षेत्रफल को कम कर रहा है बल्कि पानी के प्राकृतिक प्रवाह को भी बाधित कर रहे हैं। कचरे और गन्दगी को सीधे तालाब में बहाने से इसका पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है जिससे यह अब ग्रामीणों के लिए निस्तारी और पीने योग्य भी नहीं रह गया है।

ग्रामीणों का आक्रोश और वर्तमान हालात

महेबा गाँव के निवासी इस तालाब की दुर्दशा से बेहद निराश हैं। उनका कहना है कि इस तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए कई बार प्रशासन से गुहार लगाई गई लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों के लिए यह तालाब न केवल एक जलस्त्रोत है बल्कि उनकी संस्कृति और परंपरा का भी हिस्सा है। पितृ पक्ष जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर इसका उपयोग होता था लेकिन अब उन्हें साफ पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हाल ही में पितृ पक्ष के दौरान ग्राम पंचायत के सरपंच राजेश पिंकू व्यास ने गुनौर विधानसभा के विधायक डॉ. राजेश वर्मा के निर्देश पर तालाब की साफ.-सफाई और घाटों की मरम्मत का कार्य कराया। यह एक सराहनीय पहल थी जिसने कुछ समय के लिए लोगों को राहत दी लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। ग्रामीणों का मानना है कि जब तक सरकार की ओर से एक बड़ा बजट आवंटित करके इसका व्यापक जीर्णोद्धार नहीं कराया जाता तब तक यह तालाब अपने पुराने स्वरूप में वापिस नहीं आ पाएगा। यह एक ऐसा कार्य है जिसमें करोड़ों रुपए खर्च होंगे लेकिन ग्रामीणों का तर्क है कि आज के आधुनिक युग में इतना बड़ा और प्राकृतिक तालाब करोड़ों रुपए खर्च करने पर भी नहीं बनाया जा सकता है।

सरकारी योजनाओं से उम्मीद, क्या तालाब को मिलेगा नया जीवन

हाल ही में पन्ना जिले में गंगा जल संवर्धन योजना के तहत कई पुराने तालाबों, बावडियों और जलस्त्रोतों का जीर्णोद्धार कराया गया है। यदि मानसागर तालाब को भी इस योजना में शामिल कर लिया जाता तो इसकी दशा और दिशा दोनों बदल सकती थी। विशेषज्ञों का मानना है कि तालाब का जीर्णोद्धार न केवल जल संकट को दूर करेगा बल्कि यह क्षेत्र के कृषि और आर्थिक विकास के लिए भी एक बड़ा कदम साबित होगा। यह तालाब अपने विशाल आकार के कारण भूजल स्तर को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। मानसागर तालाब को बचाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की जरूरत है जिसमें अतिक्रमण हटाने, तालाब की सफाई करने, घाटों का पुनर्निर्माण करने और जल संचयन के आधुनिक तरीकों को अपनाने जैसे कार्य शामिल हों। यह केवल एक तालाब का पुनर्जीवन नहीं होगा बल्कि यह क्षेत्र के पर्यावरण, कृषि और सांस्कृतिक धरोहर का भी संरक्षण होगा।

भविष्य की राह सामूहिक प्रयास ही है एकमात्र उपाय

मानसागर तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनभागीदारी भी अत्यंत आवश्यक है। स्थानीय ग्रामीणों, सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविदों को मिलकर इस तालाब के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी होगी और प्रशासन पर दबाव बनाना होगा। इस प्रकार का सामूहिक प्रयास ही मानसागर तालाब को उसके पुराने गौरव को वापस दिला सकता है। यह तालाब केवल एक जल निकाय नहीं बल्कि महेबा गाँव और पन्ना जिले की अमूल्य धरोहर है जिसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

इनका कहना है

आपके द्वारा यह मामला जो संज्ञान में लाया गया है स्थानीय स्तर से इस पर साफ -सफाई का कार्य कराया जाएगा और आगे इसको योजना में शामिल करते हुए कार्यवाही की जाएगी।

उमराव सिंह मरावी

सीईओ जिला पंचायत पन्ना

जिला पंचायत के सीईओ यदि स्थल का निरीक्षण करते हैं तो निश्चित तौर पर मानसागर तालाब का पुराना अस्तित्व वापस लाया जा सकता है हमारे विधायक जी के द्वारा कई दिनों से इस पर चिंता व्यक्त की जा रही थी मेरे द्वारा इसकी साफ -सफाई एवं कुछ घाटों के जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया है। जिससे ग्राम की जनता को असुविधाओं का सामना न करना पड़े।

राजेश व्यास, सरपंच ग्राम पंचायत महेबा

मानसागर तालाब जो काफी बड़े एरिया में है काफी समय से उपेक्षा का शिकार है हमारी जन्म भूमि है और इसलिए हम लोगों का इस तालाब से बहुत लगाव है। सरपंच के द्वारा जो प्रयास किया जा रहे हैं वह अत्यंत ही सराहनीय है इसके अस्तित्व को बचाने के लिए जिस स्तर पर संघर्ष करना पड़ेगा जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक वह किया जाएगा।

नरेंद्र खरे, आरटीआई कार्यकर्ता पन्ना

Created On :   17 Sept 2025 1:03 PM IST

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