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Pune News: ‘मिशन ड्रॉप बॉक्स’ चिंताजनक , जीरो लक्ष्य साधने में प्रशासन रहा नाकाम

- 7,000 से अधिक विद्यार्थी स्कूल से गैरहाजिर
- 7,033 और पूरे जिले में 43,174 छात्र ‘ड्रॉप बॉक्स’ में सूचीबद्ध
भास्कर न्यूज, पिंपरी चिंचवड़। स्कूल से गैरहाजिर रहने वाले छात्रों का पता लगाने के लिए पिंपरी चिंचवड़ शहर में लगातार हर वर्ष “मिशन ड्रॉप बॉक्स” अभियान चलाया जाता है। नियम के अनुसार ऐसे छात्रों को स्कूलों को 'ड्रॉप बॉक्स' में अनिवार्य रूप से दर्ज करना होता है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिंपरी चिंचवड़ शहर में 7,033 और पूरे जिले में 43,174 छात्र ‘ड्रॉप बॉक्स’ में सूचीबद्ध हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद, प्रशासन और स्कूल इन आंकड़ों को शून्य पर लाने में सफल नहीं हो पाए हैं। आम तौर पर हर वर्ष विद्यार्थियों की संख्या या तो बढ़नी चाहिए या उतनी ही रहनी चाहिए। यदि यह संख्या घटती है तो शिक्षा विभाग छात्रों के गायब होने के कारणों की जांच करता है। ‘मिशन ड्रॉप बॉक्स’ के तहत यह पता लगाया जाता है कि कौन से छात्र वास्तव में स्कूल छोड़ चुके हैं। स्टूडेंट पोर्टल पर ऐसे छात्रों को ‘ड्रॉप बॉक्स’ में डालने का विकल्प है और शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों और मुख्याध्यापकों को बार-बार निर्देश दिए हैं कि इस संख्या को शून्य पर लाया जाए।
- क्यों नहीं हो पाता ड्रॉप बॉक्स ‘शून्य’?
शिक्षा विभाग उन सभी कारणों की जांच करता है जिनकी वजह से छात्र नई क्लास में दर्ज नहीं हो पाते। जैसे कि छात्र ने निजी स्कूल में प्रवेश लिया, उसने पढ़ाई बीच में छोड़ दी, किसी छात्र की मृत्यु हो गई, छात्र की दोहरी एंट्री दर्ज है, गलत या अधूरी जानकारी। हर वर्ष कक्षा 1 से 12 तक के पास हुए छात्रों की संख्या और अगली कक्षा में दर्ज छात्रों की कुल संख्या मिलाई जाती है। यदि अंतर पाया जाता है तो मामला ‘ड्रॉप बॉक्स’ में दर्ज होता है। स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि मिशन ड्राप बॉक्स की संख्या जीरो पर लाने का लक्ष्य साधना व्यावहारिक रूप संभव नहीं है, क्योंकि कई जटिलताएं इस प्रक्रिया में आड़े आती हैं। शिक्षकों का कहना है कि कई परिस्थितियाँ उन्हें ड्रॉप बॉक्स साफ करने से रोकती हैं। कई बार प्रवासी और घूमंतू परिवारों के छात्र बिना टीसी (दाखला) लिए शिफ्ट हो जाते हैं। ऐसे छात्रों का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। बिना आधिकारिक जानकारी स्कूल ऐसे नाम हटाने की अनुमति नहीं रखते। इसलिए ड्राप बॉक्स की संख्या वैसी ही रह जाती है।
- क्या है स्कूलों की मांग
स्कूलों की मांग है कि, जब तक छात्र दूसरी स्कूल में दाखिला न ले, तब तक उसे ड्रॉप बॉक्स में न दिखाया जाए। अगर कुछ महीनों के बाद कोई सबूत नहीं मिलता है, तो स्कूलों को ड्रॉप बॉक्स से स्टूडेंट्स को हटाने का अधिकार दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही स्थानांतरित विद्यार्थियों के लिए एक अलग खास प्रक्रिया लागू की जानी चाहिए। बहरहाल शिक्षा विभाग अनुपस्थित और पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या को कम करने के लिए काम कर रहा है। हालांकि, प्रवासी छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण ड्रॉप बॉक्स को शून्य पर लाना एक चुनौती बनती जा रही है। इस अभियान की सफलता स्कूलों से प्राप्त सुझावों और आने वाले महीनों में सरकारी बदलावों पर निर्भर करेगी।
परप्रांतीय और प्रवासी छात्र बिना दाखला प्रमाणपत्र लिए स्कूल छोड़ देते हैं, जिसके कारण उनका पता लगाना कठिन हो जाता है। जल्द ही मुख्याध्यापकों की बैठक लेकर उनकी समस्याएं समझी जाएंगी और आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे। लक्ष्य है कि ड्रॉप बॉक्स की संख्या न्यूनतम की जाए।
- संगीता बांगर, प्रशासन अधिकारी, शिक्षा विभाग, पिंपरी चिंचवड़ मनपा
Created On :   27 Nov 2025 2:37 PM IST












