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Pune City News: मोरया पहाड़ पर मिले प्राचीन खेलों के महत्वपूर्ण अवशेष

- ईसा की दूसरी शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी के बीच के अवशेष होने का अनुमान
- ऐतिहासिक और व्यापारिक संदर्भ
- सातवाहन काल से मराठा साम्राज्य के गवाह
प्रदीप पाटिल, मुलशी। मुलशी तहील के लवले गांव के पास मोरया पहाड़ पर प्राचीन भारतीय खेलों के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। इस पहाड़ पर स्थित 'घोड़ं खडक' नामक स्थान पर विभिन्न खेलों के रेखाचित्र और उनके अवशेष मिले हैं।
स्थानीय निवासी सोजवल साली द्वारा दी गई प्राथमिक जानकारी के आधार पर, स्थल का अध्ययन करने के बाद धोंडिबा कुंभार और ऐतिहासिक स्थलों के अभ्यासक आकाश मारणे ने हाल ही में इन ऐतिहासिक बैठे खेलों को खोज निकाला है। भूकुम, पिरंगुट और लवले गांव की सीमा पर स्थित इस ऐतिहासिक पहाड़ की चट्टानों में मुख्य रूप से मंकला, सारीपाट, बाघ-बकरी और चौक-भरा जैसे खेलों के कुल आठ पट (बोर्ड) मिले हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये अवशेष ईसा की दूसरी शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी के बीच के हो सकते हैं।
ऐतिहासिक और व्यापारिक संदर्भ
सातवाहन काल से कोंकण से देश (महाराष्ट्र के पठारी क्षेत्र) तक व्यापार होता था, और इसके लिए मुलशी तहसील से कई व्यापारी घाटमार्ग गुजरते थे। इन व्यापारिक मार्गों पर सैन्य चौकियां और विश्राम स्थल होते थे। इन्हीं स्थानों पर ये खेलपट चट्टानों में खुदे हुए मिलते हैं। लवले गांव के पहाड़ पर पाए गए ये खेलपट ईसा पूर्व 250 (सातवाहन काल) से लेकर ईसवी सन 17वीं शताब्दी (मराठा काल) के बीच के प्राचीन से मध्ययुगीन काल के होने की संभावना है।
सातवाहन काल से मराठा साम्राज्य के गवाह
'घोड़ं खडक' नामक इस स्थान पर चट्टानों में घोड़े के पैरों के निशान भी मिलते हैं, जिस कारण इसे 'घोड़ं खडक' कहा जाता है। यहां शिवलिंग और कुछ अन्य आकृतियां भी देखी जा सकती हैं। सातवाहन काल से मराठा साम्राज्य तक के विस्तृत कालखंड के गवाह, मुलशी तहसील की इन पहाड़ी रास्तों पर मिले ये खेलपट केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि महाराष्ट्र के सांस्कृतिक और व्यापारिक इतिहास के मूक दस्तावेज हैं।
Created On :   24 Nov 2025 6:14 PM IST












