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Pune City News: तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने के लिए अभिभावकों को करेंगे सक्रिय

- महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की बैठक में लिया गया निर्णय
- अभिभावकों से कहेंगे हिंदी पढ़ाएं
भास्कर न्यूज, पुणे। भारतीय जनता पार्टी की सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि स्कूल के पाठ्यक्रम में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाए, इसके लिए अब अभिभावकों को सक्रिय किया जाएगा। वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त त्रिभाषा सूत्र समिति की अब तक की जन-संवाद में स्कूल के पाठ्यक्रम में पहली कक्षा से हिंदी सहित तीसरी भाषा के समावेश का विरोध किया जा रहा था, लेकिन महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने बच्चों को हिंदी पढ़ाने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करने की भूमिका निभाने का निर्णय लिया है।
95 साल की उम्र में भी सक्रिय महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा समिति के निदेशक ज. गं. फगरे की पुणे विभाग की अध्यक्ष, सांसद मेधा कुलकर्णी ने शनिवार को शुभकामना मुलाकात की। मुलाकात के दौरान हिंदी के प्रचार और प्रसार से संबंधित योजनाओं पर चर्चा हुई। समिति के उपाध्यक्ष सदानंद महाजन, माधव माटे, संजय लेले और संजय भारद्वाज इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति में त्रिभाषा सूत्र शामिल है। हालांकि, तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने का विरोध हो रहा है और यह भी बहस का विषय है कि तीसरी भाषा किस कक्षा से पढ़ाई जाना चाहिए। इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में त्रिभाषा नीति समिति नियुक्त की है। इसी संदर्भ में समिति की बैठक में चर्चा हुई।
अभिभावकों से कहेंगे हिंदी पढ़ाएं
कोषाध्यक्ष मधुमिलिंद मेहेंदले ने बताया कि स्कूल पाठ्यक्रम में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाए, इसके लिए अब अभिभावकों को सक्रिय करने का निर्णय महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने लिया है। राज्य सरकार द्वारा नियुक्त त्रिभाषा नीति समिति के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र जाधव ने नीति सुनिश्चित करने के लिए जनता की अपेक्षाएं जानना हैं। मेहेंदले ने कहा कि कोठारी आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य में त्रिभाषा सूत्र को लागू किया जा रहा है। इस बात को ध्यान रखते हुए संभव है कि अभिभावकों से अनुरोध किया जाएगा कि वे बच्चों को हिंदी पढ़ाएं। अगर तीसरी भाषा के रूप में महाराष्ट्र में कन्नड़ या गुजराती पढ़ाई जाना है, तो उसे पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध हैं या नहीं, इस पर भी अभिभावकों को विचार करना चाहिए।
Created On :   24 Nov 2025 2:04 PM IST












