Satna News: सैम्पलिंग के बाद जांच में अवमानक पाई गईं 3 किस्म की सरकारी दवाएं

सैम्पलिंग के बाद जांच में अवमानक पाई गईं 3 किस्म की सरकारी दवाएं
  • 5 माह में 152 दवा दुकानों का निरीक्षण, टॉप 5 में सतना
  • तहसील मुख्यालयों में रात्रिकालीन एक मेडिकल स्टोर खोलने के निर्देश दिए गए हैं।
  • फिलहाल इन दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

Satna News: 5 माह में 152 दवा दुकानों के निरीक्षण और उनके विरुद्ध उठाए गए कठोर कदम के मामले में सतना का औषधि विभाग प्रदेश में 5वें स्थान पर है। इस बीच ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका चौबे ने 21 सैम्पल लिए। पुराने 15 सैम्पलों को मिलाकर जहां 36 सैम्पल जांच की कसौटी में खरे उतरे तो वहीं सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाइयों में बच्चों को दी जाने वाली दो प्रकार की पैरासीटामॉल सिरप और एसिडिटी की टेबलेट रेनीटिडीन अवमानक पाई गई है। फिलहाल इन दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। गौरतलब है कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 के नियम 65 के अनुसार एवं समय-समय पर रिस्कबेस्ड अप्रोच एवं शिकायतों के आधार पर औषधि विभाग मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण करता है।

2 मेडिकल लाइसेंस सस्पेण्ड

हासिल जानकारी के मुताबिक 152 दवाइयों के निरीक्षण के दरमियान अनियमिता पाए जाने पर डीई प्रियंका चौबे ने 10 मेडिकल स्टोर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया। एक लाइसेंस को कैंसिल किया गया जबकि 2 मेडिकल लाइसेंस सस्पेण्ड भी कर दिए गए।

5 दवा दुकानों को शोकॉज

20 से 22 अगस्त तक चली फ्लाइंग स्क्वॉड की कार्रवाई में दवा के एक थोक कारोबारी के यहां करीब 44 हजार स्पास्मो प्रॉक्सीवॉन (नशे के लिए इस्तेमाल होने वाली) कैप्सूल का हिसाब नहीं मिला। इसी से जुड़े करीब 11 मेडिकल स्टोर में भी दवा खरीदी-बिक्री के रिकॉर्ड जब्त किए गए थे। ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका चौबे ने अब तक 5 दवा दुकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है जबकि इतने ही मेडिकल स्टोर से भी जवाब तलब किया जाएगा।

रात्रिकालीन मेडिकल स्टोर खोलने बना रोस्टर

आपातकालीन स्थिति में मरीजों को दवाएं सुलभ तरीके से उपलब्ध हों इसके लिए तहसील मुख्यालयों में रात्रिकालीन एक मेडिकल स्टोर खोलने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एलके तिवारी ने रोस्टर भी बनाया है। बता दें कि सतना-मैहर को मिलाकर लगभग 1200 दवा दुकानें संचालित हैं।

क्लीनिक को मेडिकल स्टोर्स की श्रेणी में नहीं रखा गया है। दरअसल, सीएमएचओ ऑफिस से पंजीयन कराकर क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर जरूरी दवाइयां रख सकते हैं मगर उसका बिल जनरेट नहीं कर सकते यानि बाहरी मरीजों को नहीं बेच सकते। क्लीनिक के निरीक्षण का अधिकारी सीएमएचओ के पास है।

Created On :   27 Aug 2025 1:22 PM IST

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