Jyeshtha Maas 2025: बेहद खास है हिन्दू पंचांग का तीसरा माह, इन देवताओं की पूजा का विशेष महत्व

बेहद खास है हिन्दू पंचांग का तीसरा माह, इन देवताओं की पूजा का विशेष महत्व
  • आम बोलचाल में इसे जेठ का महीना कहा जाता है
  • सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इसे ज्येष्ठ कहा गया है
  • हनुमान जी, सूर्य देव, वरुण देव की पूजा होती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग का तीसरा माह ज्येष्ठ (Jyeshtha Maas) कई मायनों में खास है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ की शुरुआत 13 मई 2025 से हो गई है और इसका समापन 11 जून तक होगा। इसे आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है। इसके नाम को लेकर कहा जाता है कि, चूंकि इस महीने में सूर्य अत्यंत शक्तिशाली होता है जिससे भयंकर गर्मी होती है। सूर्य की प्रचंड गर्मी के कारण नदियां और तालाब सूखने लगते हैं और अत्यधिक गर्मी और तपिश होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि, इस महीने में भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की पूजा की जाना चाहिए। इसका विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा, ज्येष्ठ माह ज्योतिष शास्त्र में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस महीने में ग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए पूजा, व्रत और दान किए जाते हैं। आइए जानते हैं इस महीने का महत्व...

क्या है इस महीने का वैज्ञानिक महत्व?

हिन्दी माह के इस माह का वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। चूंकि इस माह में वातावरण गर्म होता है और शरीर में जल का स्तर भी गिरने लगता है। ऐसे में इस माह में जल का सही उपयोग करन चाहिए। इसके व्यर्थ बहने और उपयोग से रोकना चाहिए। इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक बताया गया है। यही नहीं स्वाथ्य की दृष्टि से ही इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक माना गया है।

ज्येष्ठ मास की पूजन विधि

ऐसा कहा जाता है कि, ज्येष्ठ मास में स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म का विशेष महत्व होता है। इस महीने में व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। साथ ही इस महीने में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग को जल अर्पित करना चाहिए। साथ ही हनुमान जी के मंदिर में आराधना करना चाहिए। इस महीने में पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि, पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं। ऐसे में जब आप इसकी पूजा करते हैं तो श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।

Created On :   17 May 2025 6:50 PM IST

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