व्रत: आज है भौम प्रदोष, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

Bhaum Pradosh: know importance of this fast and auspicious time
व्रत: आज है भौम प्रदोष, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
व्रत: आज है भौम प्रदोष, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्कए नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के अनुसार हर मास के दोनों पक्षों, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भक्तों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। प्रदोष जिस दिन पड़ता है उसी के अनुसार नाम होता है। इस बार यह व्रत 9 फरवरी मंगलवार को पड़ रहा है।  

इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाएगा। दरअसल, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है, तब यह व्रत रखा जाता है। मंगल ग्रह का ही एक अन्य नाम भौम है और प्रदोष व्रत को मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष कहते हैं। भौम प्रदोष व्रत जीवन में समृद्धि लाता है। अइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और मुहूर्त के बारे में...

इस माह में आएंगे ये महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार, देखें पूरी लिस्ट

भौत प्रदोष मुहूर्त
तिथि आरंभ: 9 फरवरी, मंगलवार सुबह 03 बजकर 19 मिनट से
पूजा का मुहूर्त: 9 फरवरी, शाम 06 बजकर 03 मिनट से रात्रि 08 बजकर 40 मिनट तक
तिथि समाप्त: 10 फरवरी, बुधवार सुबह 02 बजकर 05 मिनट तक

व्रत विधि
- भौम मंगल प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सुबह उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। 
- भौम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4ः30 बजे से लेकर शाम 7ः00 बजे के बीच की जाती है।
- जातक संध्या काल को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें।
- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें और यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं। 
- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। 
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि विधान से करें।

शुरू हो चुका है माघ मास, ये काम करने से मिलेगी सुख संपत्ति

- ऊँ नमः शिवाय मन्त्र का जप करते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिव जी का ध्यान करें।
- ध्यान के बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनाएं कथा समाप्ति के बाद हवन सामग्री मिलाकर 11 या 21 या 108 बार ऊँ ह्रीं क्लीं नमः - शिवाय स्वाहा  मंत्र से आहुति कर दें। 
- इसके बाद शिव जी की आरती करें। 
- उपस्थित सभी जनों को आरती दें। सभी को प्रसाद वितरित करें। 
- इसके बाद भोजन करें। भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का ही उपयोग करें।

Created On :   7 Feb 2021 9:56 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story