जानिए क्यों रखा जाता है ऋषि पंचमी का व्रत, शुभ मुहूर्त में करें इस मंत्र, कथा का पाठ, मिलेगी हर दोष से मुक्ति

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी को बहुत विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा करने से जीवन में सुख शांति आती है। ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को अटल सौभाग्यवती की प्राप्ती होती है। इस व्रत को रखने से रजस्वला दोष से मुक्ति हो जाती है। ये भी मान्यता है कि महिलाएं ऋषि पंचमी व्रत के दौरान गंगा स्नान करें तो इसका फल कई गुना ज्यादा मिलता है।
ऋषि पंचमी 1 सितंबर 2022 को है
पंचांग के अनुसार 1 सितंबर, गुरुवार का दिन पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही उत्तम है। इसी दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाएगा।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी पूजन का शुभ मुहूर्त 1 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 37 मिनट तक है।
मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
ऋषि पंचमी कथा
एक उत्तक नाम का ब्राह्म्ण अपनी पत्नी सुशीला के साथ रहते थे। उनका दो बच्चे थे, पुत्र और पुत्री थी। दोनों ही बच्चे विवाह योग्य हो गए थे। पुत्री का विवाह उत्तक ब्राह्मण ने सुयोग्य वर के साथ कर दिया, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद उसके पति की मृत्यु हो गई। जिस के बाद उनकी पुत्री मायके वापस आ गई। एक दिन पुत्री अकेले सो रही थी, तभी उसकी मां ने देखा की पुत्री के शरीर पर कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। अपनी पुत्री का ऐसा हाल देखकर उत्तक की पत्नी चिंतित हो गई। वह अपनी पुत्री को पति उत्तक के पास लेकर आई और बेटी की हालत दिखाते हुए बोली कि, मेरी बेटी की ये गति कैसे हुई? तब उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद देखा कि पूर्वजन्म में उनकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन राजस्वला के दौरान उससे गलती हो गई। ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था। इस वजह से उसे ये पीड़ा हुई है। फिर पिता के बताए अनुसार पुत्री ने इस जन्म में इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए पंचमी का व्रत किया। इस व्रत को करने से उत्तक की बेटी को अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई।
डिसक्लेमरः ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर बताई गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
Created On :   31 Aug 2022 2:13 PM IST