Nirjala Ekadashi 2025: आज निर्जला एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानिए पूजा की विधि

आज निर्जला एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानिए पूजा की विधि
  • इस बार यह व्रत 06 जून 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा
  • 24 एकादशियों के व्रत का फल इस एकादशी से मिलता है
  • भीमसेन ने भी अपने जीवन में मात्र यहीं एक व्रत रखा था

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है, जो कि हर महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरे कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार देखा जाए तो साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। लेकिन, हर एक एकादशी अलग नाम से जानी जाती है और इसी के अनुरूप यह आपको अलग- अलग फल प्रदान करती है। फिलहाल, ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत 06 जून 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा।

निर्जला एकदशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, यदि आप सालभर में आने वाली 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही आपको सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता है। इस व्रत से लोग भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भीमसेन ने अपने जीवन में मात्र यहीं एक व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और विधि...

शुभ मुहूर्त

तिथि आरंभ: 06 जून 2025, शुक्रवार की देर रात 02 बजकर 15 मिनट से

तिथि समापन: 07 जून 2025, शनिवार की सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक

व्रत की विधि

- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि से निवृत्त हों।

- साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें।

- घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।

- भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।

- पूजा में पीले फूल, पंचामृत और तुलसी पत्र जरुर रखें।

- भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाएं।

- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।

- अब भगवान और मां लक्ष्मी की आरती करें।

निर्जला एकादशी व्रत पारण विधि

निर्जला एकादशी व्रत का पारण करने के लिए अगले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि से निवृत्त हों। इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस दिन आप निर्धनों और जरुरतमंदों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करें। इसके बाद नींबू पानी पीकर व्रत का समापन करें और व्रत के तुरंत बाद पहले हल्का भोजन करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   5 Jun 2025 5:36 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story