बड़ा मंगल: ज्येष्ठ माह के मंगलवार का क्या है महत्व और कैसे हुई 'बड़ा मंगलवार' की शुरुआत? जानिए इसके पीछे का इतिहास

ज्येष्ठ माह के मंगलवार का क्या है महत्व और कैसे हुई बड़ा मंगलवार की शुरुआत? जानिए इसके पीछे का इतिहास
  • यह दिन भगवान श्री राम के भक्त हनुमान जी को समर्पित है
  • बड़ा मंगल को एक पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा है
  • लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाता है पर्व

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू कैलेंडर का तीसरा माह ज्येष्ठ जितना महत्वपूर्ण है उतना ही इस महीने में आने वाला मंगलवार का दिन भी। ज्येष्ठ माह में आने वाले सभी मंगलवारों को बड़ा मंगल (Bada Mangal) के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। यह दिन भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित है और इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ होती है। भक्त राम नाम का कीर्तन करते हैं और कई स्थानों पर भंडारे भी इस दिन कराए जाने की परंपरा है।

देखा जाए तो बड़ा मंगल को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। खासतौर पर उत्तर भारत के लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों में बड़ा मंगल का पर्व धूम धाम से मनाया जाता है। इसका क्या महत्व है और बड़ा मंगल की शुरुआत कैसे हुई? आइए जानते हैं...

बड़ा मंगल का महत्व

ज्येष्ठ माह में आने वाले हर मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, जो भी व्यक्ति इस दिन हनुमान जी की पूरे श्रद्धा और विधि विधान से पूजा करता है उसे सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने का महत्व बताया गया है और कहा जाता है कि इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

कैसे हुई बड़ा मंगल की शुरुआत?

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन का संबंध रामायण और महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि, जब पांडवों के सबसे बड़े भाई भीम को अपने बल पर घमंड हो गया था, तब हनुमान जी एक बूढ़े वानर के रूप धारण कर भीम का घमंड तोड़ा था। इसके बाद से ही ज्येष्ठ माह के मंगलवार को 'बड़ा मंगल' और 'बुढ़वा मंगल' के रूप में जाना जाता है।

इसके अलावा इस दिन का इतिहास उत्तर प्रदेश के जिला लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर से जुड़ा है। कहा जाता है कि, ​करीब 400 वर्ष पहले अवध के नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह के पुत्र की तबीयत अधिक खराब हो गई थी। काफी इलाज के बाद भी कोई लाभ नहीं हो रहा था, जिसके चलते नवाब की बेगम दुखी रहने लगी। इसके बाद कुछ लोगों ने नवाब की बेगम को अलीगंज के प्राचीन हनुमान मंदिर में ज्येष्ठ माह के मंगलवार को दुआ मांगने के लिए कहा। जिसके बाद बेगम ने उनकी बात मानी और मंदिर पहुंचकर दुआ की और हनुमान जी की कृपा से उनके पुत्र की तबीयत ठीक हो गई।

ऐसा कहा जाता है कि, पुत्र को स्वस्थ देखकर मोहम्मद अली शाह अत्यधिक प्रसन्न हुए थे और उन्होंने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई थी। यह कार्य ज्येष्ठ माह में पूर्ण हुआ और फिर उन्होंने हनुमान जी को गुड़ और धनिया का भोग लगाया और इसे लोगों में प्रसाद के रूप में वितरण किया। माना जाता है कि, तभी से हर साल बड़ा मंगल का पर्व मनाया जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।

Created On :   19 May 2025 2:28 PM IST

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