व्यापमं घोटाले में पर्दे के पीछे नेताओं और अफसरों के गठजोड़ की कहानी

Behind the scenes in Vyapam scam, the story of the nexus of politicians and officers
व्यापमं घोटाले में पर्दे के पीछे नेताओं और अफसरों के गठजोड़ की कहानी
मध्य प्रदेश व्यापमं घोटाले में पर्दे के पीछे नेताओं और अफसरों के गठजोड़ की कहानी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले के पर्दे के पीछे राजनेताओं और सरकारी मशीनरी के गठजोड़ भी एक बड़ी वजह रही है। यही कारण है कि इस घोटाले की जांच कई स्तर पर हुई मगर प्रभावशाली लोगों की गर्दन उसकी पकड़ में नहीं आ पाई। राज्य में व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं)का नाम भले ही बदल दिया गया हो और नए नाम देने की कवायद चल रही हो मगर बीते एक दशक पहले खुले घोटाले की चर्चाएं अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। रह-रह कर इस घोटाले को लेकर सियासत भी तेज होती रहती है।

व्यापमं से आशय है राज्य के विभिन्न व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की परीक्षा आयोजित करने से लेकर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती की परीक्षा को आयोजित करने वाला संस्थान। व्यापमं द्वारा एक दर्जन से ज्यादा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। ये ऐसी परीक्षाएं हैं, जो तय करती हैं कि प्रदेश में कौन-कौन डॉक्टर बनेंगे, शिक्षक बनेंगे, वकील बनेंगे, पुलिस, नर्स और लिपिकीय कार्य में किन लोगों को मौका मिलेगा।

राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया तो वर्षो से चल रही है, मगर इसका बड़ा खुलासा वर्ष 2013 में हुआ, जब इंदौर में एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ और उसका सरगना था जगदीश सागर। इसके सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से करीबी रिश्तो की भी बात सामने आई। असली परीक्षार्थ्ीा के स्थान पर फर्जी को परीक्षा देने बिठाया जाता था, लाखों रुपये फर्जी परीक्षार्थी के अलावा गिरोह के सरगना, व्यापमं के अधिकारी और राजनेता को मिलते थे। यह खेल सालों चला। पहले एसटीएफ फिर एसआईटी और उसके बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के हाथ में इस घोटाले की जांच की कमान आई। परिणाम स्वरूप सियासी गलियारों से लेकर नौकरशाहों और परीक्षा संचालित करने वालों को भी सींखचों के पीछे जाना पड़ा।

सियासत के गलियारे में सबसे बड़ा नाम पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का सामने आया, तो वही सत्ता के गलियारों में मजबूत पकड़ के रखने वाले सुधीर शर्मा पर भी आंच आई। इतना ही नहीं, पूर्व राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव व ओएसडी रहे धनंजय यादव का भी नाम सुर्खियों में रहा। व्यापम के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी ,कंप्यूटर एनालिस्ट नितिंद्र मोहिंद्रा को भी घेरे में लिया गया। इसके अलावा आईपीएस स्तर के अधिकारी भी इस घोटाले की लपेट में आए। इतना ही नहीं है इस मामले कि आंच मुख्यमंत्री के आवास तक आई।

सियासी तौर पर तरह-तरह के आरोप भी लगे. कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज का कहना है कि भाजपा का चरित्र ही संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का रहा है, यही कारण है जो व्यापमं घोटाला खुला था तो कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की थी, मगर यह जांच सीबीआई को नहीं सौंपी गई, जब केंद्र में भी भाजपा गठबंधन की सरकार आई तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई और क्या हुआ यह किसी से छुपा नहीं है। सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़ने में जांच एजेंसियों की रुचि रही है बड़ी मछलियों को हमेशा बख्शा गया है। व्यापमं घोटाला खुला मगर किस मंत्री पर कार्यवाही हुई यह सबके सामने है।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   24 Sept 2022 5:30 PM IST

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