योग के जरिये मस्तिष्क पर होगा रिसर्च, तनाव, चिंता एवं अवसाद का उपचार संभव

Research on brain will be possible through yoga, treatment of stress, anxiety and depression is possible
योग के जरिये मस्तिष्क पर होगा रिसर्च, तनाव, चिंता एवं अवसाद का उपचार संभव
जामिया योग के जरिये मस्तिष्क पर होगा रिसर्च, तनाव, चिंता एवं अवसाद का उपचार संभव
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  • जामिया: योग के जरिये मस्तिष्क पर होगा रिसर्च
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  • चिंता एवं अवसाद का उपचार संभव

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। जामिया विश्वविद्यालय के छात्र मस्तिष्क इमेजिंग, मस्तिष्क गतिविधि, जैव रासायनिक और न्यूरो-फिजियोलॉजिकल मापदंडों को परखेंगे, जो तनाव, चिंता या अवसाद के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। साथ ही इन जटिलताओं से निपटने के लिए ट्रीटमेंट भी प्रदान करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि यह रिसर्च योग के माध्यम से की जाएगी। तीन साल के अध्ययन के दौरान अध्ययन में भाग लेने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को नामांकित किया जाएगा। योग और अन्य मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट जामिया और एमडीएनआईवाई दोनों में किए जाएंगे।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया को योग और ध्यान के मानसिक स्वास्थ्य लाभ की जांच के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से फंडिंग प्राप्त हुई है। यह शोध मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के सहयोग से किया जाएगा, जिसमें मोलेक्युलर टूल्स और न्यूरोनल एक्टिविटी रिकॉडिर्ंग का उपयोग करके योगा द्वारा मस्तिष्क स्वास्थ्य लाभ की जांच की जाएगी।

जामिया के प्रमुख अन्वेषक एमसीएआरएस के डॉ तनवीर अहमद हैं जो डॉ सुषमा सूरी, डॉ मीना उस्मानी, मनोविज्ञान विभाग और एमडीएनआईवाई से डॉ एस लक्ष्मी कंदन के साथ मिलकर कार्य करेंगे। डॉ अहमद ने कहा, यह शोध कार्य, कोविड -19 महामारी के प्रकोप के बाद प्रासंगिक है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में तेजी आई है। यह वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नई कार्य-संस्कृति के संपर्क में आने पर छात्र तनाव, चिंता और कभी-कभी अवसाद से भी गुजरते हैं। विशेष रूप से, पिछले वर्ष से बड़ी संख्या में हुए अध्ययनों से पीटीए चलता है कि उन लोगों में न्यूरोलॉजिकल जटिलताएँ बढ़ी हैं जो खुद या जिनके परिवार के सदस्य कोविड19 से प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा प्राप्त डेटा भी स्पष्ट रूप से उन छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं को उजागर करता है, जो प्राप्ति के अंतिम छोर पर हैं। अब जैसे-जैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय खुलने लगे हैं छात्रों में तनाव, चिंता और अवसाद का स्तर काफी बढ़ गया है।

एमसीएआरएस के निदेशक प्रो. मोहम्मद जुल्फेकार ने कहा कि इस शोध कार्य से छात्रों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत असर डाला है। इसलिए, डीएसटी द्वारा इस समय पर प्रदान की गई सहायता उन छात्रों को पहचानने में मदद करेगी जिन्हें हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता हो सकती है। एमसीएआरएस के उप निदेशक डॉ एसएन काजि़म ने कहा कि इस शोध कार्य से एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य डेटा बेस का विकास होगा और जेएमआई की पहल पूरे भारत में अन्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी क्योंकि जल्द ही वे ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।

डॉ. अहमद, डॉ. सूरी और डॉ. उस्मानी ने सामाजिक रूप से प्रासंगिक क्षेत्रों में शोध करने पर अपना समर्थन देने के लिए कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर को धन्यवाद दिया। टीम ने डीन फैकल्टी नेचुरल साइंसेज, प्रोफेसर सीमा फरहत बसीर को उनके मार्गदर्शन के लिए तथा प्रो. कीया सिरकर को जामिया से ह्यूमन एथिकल क्लियरेंस प्राप्त करने में सहायता के लिए धन्यवाद दिया है।

आईएएनएस

Created On :   11 Feb 2022 1:31 PM GMT

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