SC के आदेश के बाद भी डिलीवरी, नालाबिग ने दिया बच्चे को जन्म
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बलात्कार के बाद गर्भवती हुई मुंबई की तेरह वर्षीय किशोरी के 31 माह के गर्भ को गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद नाबालिग लड़की ने स्थानीय जेजे अस्पताल में शुक्रवार को एक बच्चे को जन्म दिया। नवजात बच्चे की वजन 1.8 किलोग्राम है और उसे नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट में रखा गया है। चिकित्सकों ने बताया कि सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुए इस बच्चे का स्वास्थ्य ठीक है। इससे पहले मंगलवार को लड़की को भारी मानसिक संत्रास से गुजरते देख और गर्भपात व सामान्य प्रसव में समान जोखिम देखते हुए सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने नियम में शिथिलता देते हुए लड़की के 31 माह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी थी।
अदालत के आदेश के बाद चिकित्सक जब गर्भपात की कोशिश कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि इससे नाबालिग लड़की को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे में उन्होंने सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बच्चा पैदा करने का निर्णय लिया। उल्लेखनीय है कि इस नाबालिग लड़की के साथ उसके पिता के व्यापारिक साझेदार ने सात महीने पहले कई बार लगातार बलात्कार किया था। बीती नौ अगस्त को नाबालिग लड़की के परिजनों ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक 23 साल के आरोपी ने लड़की के साथ कई बार नाबालिग के साथ रेप किया और जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई। नाबालिग के घरवालों ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भ गिरा देने लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। बलात्कार की शिकार लड़की सातवीं कक्षा की छात्रा है। मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेन्सी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3 (2)(बी) के तहत 20 सप्ताह के बाद गर्भ गिराने पर प्रतिबंध है। इसलिए इस लडकी के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस घटना से लड़की को गहरा मानसिक आघात लगा है। लड़की की मानसिक अवस्था को देखते हुए पीठ ने अस्पताल से कहा कि वह इस लडकी को गर्भ गिराने से एक दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती करे। न्यायालय ने कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता लडकी की उम्र , यौन शोषण की वजह से उसे पहुंची यंत्रणा और वेदना पर विचार करते हुये हम यह उचित समझते हैं कि गर्भ गिराने की अनुमति दी जा सकती है।’’
छह सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की शिकार 13 वर्षीय किशोरी के स्वास्थ्य के बारे में मेडिकल रिपोर्ट के अवलोकन के बाद उसके 31 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी थी। इससे पहले, न्यायालय ने 28 अगस्त को मुंबई के जेजे अस्पताल के चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड गठित किया था। मेडिकल बोर्ड मुंबई में पिछले दिनों होने वाली मूसलाधार बारिश की वजह से 31 अगस्त को पीडित का परीक्षण नहीं कर सका था। इसके बाद बोर्ड ने एक सितंबर को उसका मेडिकल परीक्षण किया। लेकिन इसके बाद न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली न्यायलाय की संबंधित पीठ निर्धारित तारीखों पर नहीं बैठी और इस वजह से इसकी सुनवाई नहीं हो सकी। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर विचार करने के बाद गर्भ गिराने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने 28 जुलाई को चंडीगढ की 32 सप्ताह की गर्भवती 10 वर्षीय बलात्कार पीडित लड़की को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया था, जिसने बाद में चंडीगढ के अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया।
Created On :   8 Sept 2017 11:24 PM IST