Father Of Montage सर्गेई आइजेंस्टाइन को गूगल का Doodle ट्रिब्यूट

Google doodle tribute to Sergei Eisenstein The Father Of Montage
Father Of Montage सर्गेई आइजेंस्टाइन को गूगल का Doodle ट्रिब्यूट
Father Of Montage सर्गेई आइजेंस्टाइन को गूगल का Doodle ट्रिब्यूट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गूगल ने आज अपना डूडल रशियन फिल्ममेकर सर्गेई आइजेंस्टाइन को समर्पित किया है। आज उनकी 120वीं जन्मतिथि है। सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए सर्गेई आइजेंस्टाइन को जाना जाता है। 22 जनवरी 1898 को जन्मे सर्गेई मात्र 50 साल की उम्र में ही इस दुनिया को छोड़ गए। हालांकि, इस छोटी सी जिंदगी में भी उन्होंने अपना नाम अमर बना दिया। सिनेमा जगत की पढ़ाई करने वाले हर छात्र ने जरूर सर्गेई आइजेंस्टाइन के बारे में पढ़ा होगा। सिनेमा की दुनिया को सर्गेई आइजेंस्टाइन ने ही फिल्म मोन्टाज से परिचय कराया था। यह एक तरह की एडिटिंग तकनीक  हैं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर गूगल ने एक ब्लैक एंड वाइट डूडल के जरिए उन्हें याद किया है।

फादर ऑफ मोन्टाज के नाम से प्रसिद्ध हुए आइजेन्सटाइन 

सोवियत फिल्ममेकर सर्गेई आइजेंस्टाइन को फिल्म मोन्टाज का फादर कहा जाता है। बता दें कि फ्रेंच में मोन्टाज का मतलब होता है- एडिटिंग। उन्होंने ही मोन्टाज ऑफ अट्रैक्शन्स फॉर्म की ईजाद की, इस तकनीक में फिल्म रोल को एक क्रमबद्ध तरीके से काटकर जो़ड़ा जाता है तो वो अर्थपूर्ण दृश्य पेश करें। इसी तकनीक की मदद से विश्व में फिल्में बनना शुरू हुईं। ये तकनीक कई मशहूर फिल्मों जैसे- सिटीजन केन, द कराटे किड, गॉडफादर और फाइट क्लब में इस्तेमाल हुई है।

आपको मालूम होगा कि विश्व में जब सिनेमा बनाने की शुरुआत की गई थी तो मूक सिनेमा बनता था, जिसमे सबसे पहले तो कई स्टिल फोटोज को जोड़कर एक कहानी कहने की कोशिश की गई, इसके बाद इसी तरह वीडियो को भी जोड़ा गया और एक कहानी के रूप में दिखाया गया। सर्गेई का मानना था कि अगर दो तस्वीरों को जोड़कर एक मेंटल इमेज बनाई जाए, तो वो एक तस्वीर से ज्यादा प्रभावी होती है. ऐसे में कई तस्वीरों को जोड़कर इस तरह प्रभावी तरीके से बात कही जा सकती है, जिसके लिए संवादों की जरूरत ही नहीं होगी।

मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में थे सर्गेई आइजेंस्टाइन

गूगल ने जो डूडल पेश किया है, उसमें सर्गेई आइजेंस्टाइन को फिल्म रोल से घिरा हुआ दिखाया गया है। उन्होंने हाथ में एक कैंची पकड़ रखी है, जो एडिटिंग को दर्शाता है। सर्गेई आइजेंस्टाइन का जन्म लातविया के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने पेट्रोग्राड इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद 1918 में बोल्शेविक क्रांति के जोश में वो लाल सेना में भर्ती हो गए। 1920 में वो मॉस्को चले गए और वहां थिएटरों में डिजाइनिंग क्षेत्र में काम करने लगे। सर्गेई के पिता क्रांति के खिलाफ थे।

1930 में मिला हॉलीवुड से 1 लाख डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट  

इसी बीच उनका रुझान फिल्मों की ओर हो गया। सर्गेई को उनकी फिल्म "बैटलशिप पोटेमकिन", "स्ट्राइक", "अक्टूबर: 10 डेज़" "दैट शुक द वर्ल्ड", "अलेक्जैंडर नेव्स्की", "इवान द टैरिबल" के दो पार्ट और "द जनरल लाइन" के लिए याद किया जाता है।

उनकी किताब "एन अमेरिकन ट्रेजेडी" पर भी फिल्म बनाने की तैयारियां हुई थीं, लेकिन ये फिल्म स्क्रिप्ट से आगे नहीं बढ़ पाई। उनकी योग्यता को देखते हुए 1930 में उन्हें हॉलीवुड से 1 लाख डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट मिला। उन्होंने फेमस साइलेंट कॉमेडियन चार्ली चैपलिन के साथ भी काफी समय बिताया।

"बैटलशिप पोटेमकिन" बनी मास्टरपीस फिल्म

फिल्म "बैटलशिप पोटेमकिन" उन्होंने 1905 की क्रांति पर बनाई थी। ये फिल्म विश्व सिनेमा का एक मास्टरपीस फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म में उन्होंने अपना यादगार ओडेसा स्टेप्स सीक्वेंस इस्तेमाल किया है, जिसके लिए उन्हें खासतौर पर जाना जाता है। इसके पहले तक किसी ने भी ऐसा कुछ नहीं देखा था। उनकी फिल्में मोशन पिक्चर की बेहतर समझ का बेहतरीन उदाहरण समझी जाती हैं। इन्होंने 1923 में ही अपनी पहली फिल्म ग्लुमोव्ज डायरी बनाई। हालांकि उनकी पहली फीचर फिल्म ‘स्ट्राइक’ मानी जाती है।

Created On :   22 Jan 2018 3:33 PM IST

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