जावेद, नावेद ने पिता के लिए साझा की भावुक पंक्तियां

Javed, Naved shared emotional lines for father
जावेद, नावेद ने पिता के लिए साझा की भावुक पंक्तियां
जावेद, नावेद ने पिता के लिए साझा की भावुक पंक्तियां
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मुंबई, 13 जुलाई (आईएएनएस) जावेद जाफरी और नावेद जाफरी ने अपने पिता व दिवंगत कॉमेडियन जगदीप के लिए प्यार और उन पर गर्व व्यक्त करने के लिए पोस्ट लिखी है।

जावेद ने अपने पिता की याद में एक लंबा नोट ट्विटर पर पोस्ट किया।

गौरतलब है कि जगदीप का निधन 8 जुलाई को 81 वर्ष की आयु में हो गया।

जावेद ने लिखा, उन सभी लोगों को मेरा हार्दिक धन्यवाद, जिन्होंने मेरे पिता के जाने की पीड़ा को बहुत प्यार, प्रशंसा और अफसोस के साथ साझा किया। इतना प्यार.इतनी इज्जत.इतनी दुआएं.यही तो है 70 सालों की असली कमाई।

जावेद ने ट्विटर पर लिखा, 10 से 81 तक, उन्होंने जिस चीज के लिए सांस ली और जिंदा रहे, वह फिल्म थी। 7 साल की उम्र में अपने पिता को खोने के बाद और विभाजन के बाद अच्छी जिंदगी जीने वाली हर चीज को खोने के बाद, यह मुंबई के फुटपाथ पर गरीबी और अस्तित्व की लड़ाई थी। अपनी मां के साथ आठ साल की उम्र में उन्हें हालात के समुद्र में फेंक दिया गया। वह या तो डूब जाते या तैर जाते। तो वह तैरे। छोटे पैमाने की टिन फैक्ट्रियों में काम करने से लेकर पतंग बनाने, साबुन बेचने, एक मालिशवाला के पीछे-पीछे उसका तेल का कनस्तर पकड़े चलते हुए और मालिश, तेल मालिश चिल्लाते हुए। 10 साल की उम्र में, नियति उनके लिए क्या चुनती है, जैसे कि सुरंग के अंत में प्रकाश, वह प्रकाश सिनेमा था।

जावेद ने अपने पिता के फिल्मी सफर का भी विस्तार से वर्णन किया और उनसे मिली सीख को भी याद किया।

उन्होंने लिखा, एक पिता जिसने मुझे जीवन मूल्यों, गरीबी का पाठ, समर्पण का महत्व और क्राफ्ट की बारीकियां, सकारात्मकता और प्रेरणा की अनगिनत कहानियों के साथ कई सीख दी। हमेशा मुस्कुराते हुए, सभी के लिए प्रोत्साहन के शब्द कहते हुए और मुझे हमेशा याद दिलाते थे कि सच्ची सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि कोई क्या है ना कि इससे कि उसके पास क्या है। एक शानदार इंसान और उनकी शानदार यात्रा।

वहीं जगदीप के छोटे बेटे नावेद जाफरी ने भी उनके साथ बचपन की तस्वीर साझा करते हुए श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने लिखा, मैंने कभी किसी को अंतिम सांस लेते नहीं देखा। पिताजी पहले थे, जब उनका निधन हुआ तो पूरा परिवार उनके साथ था। जीते जीते इज्जत से जीना सिखा गए, जाते जाते जीने का तरीका भी। विनम्रता और मानवता वह सब हमारे दिलों में सिमट गया था। आपकी याद आती है।

Created On :   13 July 2020 7:04 PM IST

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