मैंने ‘पद्मावत’ का समर्थन किया, मगर मेरे समर्थन में कोई नहीं आया- मधुर भंडारकर

madhur bhandarkar say i support to padmaavat but no any one support my film indu sarkar
मैंने ‘पद्मावत’ का समर्थन किया, मगर मेरे समर्थन में कोई नहीं आया- मधुर भंडारकर
मैंने ‘पद्मावत’ का समर्थन किया, मगर मेरे समर्थन में कोई नहीं आया- मधुर भंडारकर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘पद्मावत’ फिल्म के समर्थन में मैं सबसे पहले खड़ा था जबकि  ‘इंदू सरकार’ बनाने के बाद कई महीने मैं डर के साये में जिया। यहां तक कि पुलिस सुरक्षा में ही घर से बाहर निकलता था। उस समय मेरे समर्थन में कोई नहीं आया। यह बात पद्मश्री से सम्मानित निर्देशक मधुर भंडारकर ने दैनिक भास्कर कार्यालय में  कही।  उन्होंने कहा कि  अभिव्यक्ति का अधिकार सभी को है, ऐसे में कुछ लोग उसे सीमित नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि फिल्म में विवाद से बचने के लिए जिस पर फिल्म बनाई जा रही है, उससे संबंधित परिवार या उससे जुड़े लोगों से अनुमति ले लेनी चाहिए, ताकि बाद में विवाद की स्थिति नहीं बने। ऐसा देखने में आया है कि डॉक्यूमेंट्री बनाने, किताब लिखने एवं एडिटोरियल लिखने पर विरोध नहीं होता है, लेकिन फिल्म बनाने पर विरोध होता है।  वे किसी विशेष समुदाय पर फिल्म बनाने से यदि उनकी भावनाएं आहत होती हैं, तो फिल्म बनानी चाहिए क्या इस सवाल का जवाब दे रहे थे।

बात-बात पर होता है विरोध
भंडारकर ने कहा कि फिल्म को लेकर विरोध होना कोई नई बात नहीं है। ‘मंगल पांडे’ फिल्म में उनके परिवार वालों की आपत्ति थी, जबकि ‘उड़ता पंजाब, द डा विंची कोड, आरक्षण, इंदू सरकार’ ऐसी बहुत सी फिल्में हैं, जिनको लेकर िववाद हुआ। लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। हमें संवैधानिक तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए। सेंसर बोर्ड यदि उसको अनुमति देता है और न्यायालय द्वारा अनुमति मिलती है, तो हमें उसका सम्मान करना चाहिए। मैं फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में हूं। ‘पद्मावत’ फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद मैंने उसका समर्थन किया। जिन लोगों को फिल्म पसंद नहीं है, वह न देखें। अपनी अगली फिल्म के सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि  पिछले कुछ समय से मैं विदेश दौरे पर था। 17 फिल्मों के एक शॉर्ट फिल्म मुंबई मिनिट्स पर काम कर रहा था। नई फिल्म जैसे ही आएगी आपको जरूर बताऊंगा।

सेंसर बोर्ड को मॉर्डन बनने की जरूरत
भंडारकर ने कहा कि सेंसर बोर्ड को हटाना नहीं चाहिए, क्योंकि हम एक परिवार वाले  समाज में रहते हैं और यहां उसकी आवश्यकता है। सेंसर बोर्ड को अब मॉर्डन बनने की आवश्यकता है। हमें समझना होगा कि अब पुराना समय िनकल चुका है और सब कुछ इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसलिए सेंसर बोर्ड को छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिल्म के विरोध के चलते हमें डायलॉग और फिल्म में बदलाव करना पड़ता है। फिल्म में डिस्क्लाइमर डालना पड़ता है, मेरे साथ ऐसा हुआ है। 

डर के कारण सामने नहीं आती इंड्रस्टी
मधुर ने कहा कि मैं फिल्म इंड्रस्टी के साथ खड़ा होता हूं, हालांकि यह अलग बात है कि मेरे समय कोई नहीं आया था। ऐसा इंड्रस्टी में हमेशा ही देखने को मिलता है। उनका मानना है कि समर्थन करने से उन पर एक लेबल लग जाएगा कि वह किसी विशेष पार्टी के समर्थक हैं। हालांकि जब उनसे सवाल किया गया कि राज्यसभा में विशेष पार्टी से जाने के बाद किसी लेबल की जरूरत पड़ती है, तो उन्होंने कहा कि यह वही लोग बता सकते हैं कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।

फिल्म में इमरजेंसी के बारे में बताना था
उन्होंने कहा कि ‘इंदू सरकार’ फिल्म के माध्यम से इमरजेंसी में क्या हुआ यह बताना था, क्योंकि नई पीढ़ी को तो मालूम ही नहीं है कि उस समय क्या हुआ था। उनको लग रहा था कि हॉस्पिटल वाली इमरजेंसी है। उस समय अभिव्यक्ति की आजादी हो या फिर मीडिया हो, उनको कैसे दबाया गया मैंने वह बताया। इसके लिए बिना रिसर्च कुछ भी संभव नहीं हो सकता है। कुछ लोगों ने कहा हमको फिल्म से परेशानी नहीं है, बल्कि यह परेशानी है कि तुम बना रहे हो। इससे लोगों को लगेगा कि यह बात सही है। फिल्में समाज का आइना होती हैं।

यूपी पर बनाना चाहते हैं फिल्म
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाकात पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में फिल्म के विषय को लेकर उनसे बात हुई। मैं उत्तर प्रदेश पर आधारित फिल्म बनाना चाहता हूं और उत्तर प्रदेश में फिल्म पॉलिसी को लेकर भी उनसे चर्चा हुई। हालांकि भंडारकर ने योगी आदित्यनाथ पर फिल्म बनाने की बात को सिरे से नकार दिया।

Created On :   30 Jan 2018 1:38 PM IST

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