Movie Review:अरेंज मैरिज के साइड इफेक्ट्स दर्शाती है फिल्म 'शादी में जरूर आना'

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Movie Review:अरेंज मैरिज के साइड इफेक्ट्स दर्शाती है फिल्म 'शादी में जरूर आना'
Movie Review:अरेंज मैरिज के साइड इफेक्ट्स दर्शाती है फिल्म 'शादी में जरूर आना'

फिल्म का नाम :  शादी में जरूर आना
डायरेक्टर : रत्ना सिन्हा
संगीत : आनंद राज आनंद
कलाकार : राजकुमार राव, कीर्ति खरबंदा
रेटिंग: 2.5 स्टार

शैली- रोमांटिक ड्रामा

कहानी

फिल्म की कहानी उत्तरप्रदेश से हैं जहां दो मध्यम वर्गीय परिवारों का एक शादी के जरिए मिलन होना है। फिल्म की कहानी में मिडिल क्लास घरों की सोच को दिखाया गया है, जैसे- बेटी ने शादी करने से मना किया तो फैमिली बुरा मान जाती है। वहीं अगर बेटे ने कह दिया कि मेरी बीवी नौकरी करेगी तो मां रूठ के बैठ जाती है। ऐसा किया तो लोग क्या कहेंगे इस तरह की घुट्टी बच्चों को पिलाने वाली फैमिली दिखाई गई है। कहानी बस इतनी सी है कि सत्तू (सत्येंद्र मिश्रा) यानि कि राजकुमार राव और आरती (कीर्ति खरबंदा) की अरेंज मैरिज हो रही है। दोनों पहली बार मिलते हैं एक-दूसरे को पसंद भी कर लेते हैं, इसके बाद दोनों अपनी फैमिली लाइफ और ऑफिसियल लाइफ को समानता देने का प्रयास करते हैं। एक तरफ आरती के ख्वाब बड़ा अधिकारी बनने के हैं और पहली शर्त है कि उसका पति उसे शराब पीने दें, तो वहीं दूसरी तरफ सत्तू एक साधारण सा क्लर्क है। सत्तू को आरती पिंक कलर में अच्छी लगती है और आरती को सत्तू का इंग्लिश बोलने का अंदाज क्यूट लगता है। एक दिन आरती अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए ऐसा कदम उठाती है, जिससे सत्तू के पूरा वजूद ही हिल जाता है। फिल्म में कहीं-कहीं लड़कियों की उस इमेज को भी दिखाया गया है, जैसे लड़कियां सिर्फ पैसे वाले लड़के से ही प्यार करती हैं, लड़के अकसर भावनाओं में बह जाते हैं और लड़कियां प्रैक्टिकल होकर सोचती हैं। सत्तू और आरती की शादी मंडप तक पहुंच पाती है या नहीं ये देखने के लिए आपको सिनेमाघर की ओर जाना चाहिए।

निर्देशन और पटकथा

फिल्म का कॉन्सेप्ट तो अच्छा है लेकिन कहानी पर ट्रीटमेंट की कमी नजर आती है। ऐसा लगता है कि किसी पुरानी कहानी को फिर से पेश करने की कोशिश की गई है। रत्ना सिन्हा ने अच्छा कॉन्सेप्ट उठाया है लेकिन फिल्म बहुत ही ऊबाऊ सी लगती हैं। निर्देशन के लिहाज से देखें तो फिल्म ठीक है, लेकिन कहानी कमजोर हैं। फिल्म के संवाद भी ठीक-ठीक ही हैं। फैमिली गैदरिंग वाले सीन में मजा आता है। फिल्म में कानपुर शहर वाला तड़का है, कुछ सीन देखते वक्त आपको लगेगा कि कहीं "तनु वेड्स मनु" तो नहीं देख रहे हैं। 

काफी समय से राजकुमार राव की वैसी ही एक्टिंग देखने को मिल रही है, जैसे वे अब तक करते आए  हैं। उनकी एक्टिंग में कुछ नयापन नहीं हैं, हां बस एक चीज नई है, कि राजकुमार राव ने डांस सीख लिया है। कीर्ति खरबंदा भी ठीक ठीक अभिनय करती हुई नजर आती हैं। दूसरी बॉलीवुड फिल्म होने के नाते उनकी एक्टिंग ठीक ही है। फिल्म की बाकी स्टारकास्ट विपिन शर्मा, मनोज पाहवा, गोविंद नामदेव और नवीन परिहार का काम भी औसत ही है। फिल्म का संगीत अच्छा है, सुखद है। 

 

क्यों देखें

इन दिनों शादियों का मौसम हैं कई प्रेमी जोड़े जल्दी ही शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं। उनके लिए इस तरह की फिल्म देखना बहुत जरूरी है। फिल्म न सिर्फ मनोरंजक है बल्कि इमोशन और ड्रामा से भरपूर है, या फिर आप राजकुमार राव के फैन हैं तो फिल्म देखने जा सकते हैं। 

Created On :   10 Nov 2017 8:21 AM IST

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