संजय दत्त को हाईकोर्ट से मिली राहत, रिहाई के फैसले में कोई खामी नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्म अभिनेता संजय दत्त को बांबे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सजय दत्त की जेल से को 8 माह पहले जेल से रिहा किए जाने के खिलाफ याचिका को कोर्ट ने समाप्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि 1993 बम धमाके के मामले में दोषी पाए जाने के बाद जेल भेजे गए दत्त को आठ महीने पहले रिहा करने के निर्णय में कोई खामी नजर नहीं आती। सरकार ने यह निर्णय लेते समय किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। संजय को इस मामले में आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया था और उन्हें पांच साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
हाईकोर्ट से अभिनेता को मिली राहत
जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डागरे की खंडपीठ ने कहा कि गृह विभाग के दस्तावेज से साबित होता है कि गृह विभाग ने संजय कि रिहाई को लेकर निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है। लिहाजा इस मामले को लेकर दायर याचिका को समाप्त किया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर ने संजय को थोड़े अंतराल पर दी गई पेरोल व फर्लो तथा उनकी आठ महीने पहले की गई रिहाई को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका में लगाए गए आरोपों को आधारहीन करार देते हुए याचिका को समाप्त कर दिया।
कोर्ट ने खत्म की याचिका
खंडपीठ ने कहा कि संजय के मामले से जुड़े रिकार्ड में कोई भी गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है। राज्य के गृह विभाग ने संजय के मामले को लेकर किसी विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं किया है। इस बीच खंडपीठ ने कहा कि सरकार भविष्य के लिए ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे कैदियों की ओर से पेरोल व फर्लो को लेकर किए जानेवाले आवेदनों को जल्द व पारदर्शी तरीके से निपटाया जा सके। जिससे आम लोग सहित कैदी के मन में यह धारणा न बने कि किसी को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। याचिका में दावा किया गया था कि जेल में कई ऐसे कैदी थे जिनका आचरण जेल मेें काफी अच्छा था। फिर भी जेल प्रशासन ने संजय को ज्यादा प्राथमिकता दी। हालांकि सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन किया और उन्हें निराधार बताया।
प्रचार का जरिया न बने जनहित याचिका
महाधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से व्यक्ति विशेष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। जनहित याचिका प्रचार और आर्थिक लाभ का जरिया नहीं होना चाहिए। मौजूदा याचिका कोर्ट को आधारहीन नजर आई। इसलिए उसे समाप्त कर दिया गया।
Created On :   1 Feb 2018 5:49 PM IST