स्मिता पाटिल बर्थडे स्पेशल: वुमेन सेंट्रिक फिल्मों से करियर की शुरुआत, मौत के बाद भी रिलीज हुईं 14 फिल्में
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड की लेजेंड्री एक्ट्रेस स्मिता पाटिल का आज 63वां जन्मदिन है। स्मिता पाटिल हिंदी सिनेमा की एक ऐसी कलाकार रहीं, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत वुमेन सेंट्रिक फिल्मों से की। 17 अक्टूबर 1955 को जन्मीं स्मिता अपने शुरुआती करियर में फिल्मों में ऐसी भूमिकाओं को ही प्राथमिकता देती थीं, जो वुमेन सेंट्रिक हों। हालांकि बाद में उन्होंने "नमक हलाल" और "शक्ति" जैसी फिल्मों में काम किया जिन्होंने बहुत अच्छी कमाई की।13 दिसंबर, 1986 को 31 साल की उम्र में स्मिता पाटिल इस दुनिया से रुखसत हो गई, लेकिन आज भी जब स्मिता पाटिल का नाम लिया जाता है, तो नजरों के सामने खूबसूरत और बड़ी-बड़ी आंखों वाली लड़की का चेहरा आ जाता है जिसने अपने सिर्फ 10 साल के फिल्मी करियर में बॉलीवुड में ऐसी अमिट छाप छोड़ दी जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है।
स्मिता पाटिल की अचानक मौत से पूरी इंडस्ट्री सहम गई थी। 'ठिकाना', 'सूत्रधार' और 'वारिस' जैसी करीब 14 फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज हुईं। 1989 में रिलीज हुई 'गलियों का बादशाह' उनकी आखिरी फिल्म थी।
1986 में बेटे के जन्म के बाद 13 दिसंबर 1986 में ही स्मिता का निधन हो गया। वायरल इंफेक्शन की वजह से स्मिता को ब्रेन इंफेक्शन हो गया था। वो अपने बच्चे को छोड़कर हॉस्पिटल जाने को भी तैयार नहीं होती थीं।इंफेक्शन ज्यादा हो जाने की वजह से उन्हें मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। भर्ती कराने के 24 घंटे में स्मिता के बॉडी पार्ट्स एक के बाद एक काम करना बंद करने लगे और उनकी मौत हो गई। स्मिता को निधन के बाद दुल्हन की तरह सजाया गया था, क्योंकि उन्होंने कहा था कि उनके मरने के बाद उन्हें इसी तरह तैयार कर दुनिया से विदा किया जाए।
स्मिता ने अपने फिल्मी करियर में करीब 70 फिल्मों में काम किया था। जिनमें से मिर्च मसाला, अर्थ, नमक हलाल, मंथन, शक्ति, वारिस, अमृत, डांस-डांस, गिद्ध, अनोखा रिश्ता, दर्द का रिश्ता और सदगती जैसी बेहतरीन फिल्में थीं।उनकी फिल्म सुबह, बाजार, भींगी पलकें, अर्थ, अर्धसत्य और मंडी जैसी कलात्मक फिल्में और दर्द का रिश्ता, कसम पैदा करने वाले की, आखिर क्यों, गुलामी, अमृत, नजराना और डांस-डांस जैसी व्यावसायिक फिल्में प्रदर्शित हुयीं जिसमें स्मिता पाटिल के अभिनय के अलग-अलग रूप दर्शकों को देखने को मिले। साल 1985 में स्मिता पाटिल की फिल्म 'मिर्च मसाला' प्रदर्शित हुई। इन सभी फिल्मों में उनके अभिनय को खूब सरहाना मिली।स्मिता को उनकी फिल्म चक्र और भूमिका के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिला। इसके अलावा फिल्मफेयर और पद्मश्री अवार्ड भी हासिल कर चुकी थीं।
1986 में राज बब्बर ने नादिरा बब्बर को छोड़कर स्मिता से शादी की थी। स्मिता की मां इस रिश्ते के खिलाफ थीं। इसका जिक्र स्मिता पाटिल की बायोग्राफी लिखने वाली मैथिली राव ने अपनी किताब में किया है। उन्होंने लिखा है, 'स्मिता पाटिल की मां कहती थीं कि महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली स्मिता किसी और का घर कैसे तोड़ सकती है? लेकिन, राज बब्बर से अपने रिश्ते को लेकर स्मिता ने मां की भी नहीं सुनी।'स्मिता शादी के बाद 28 नवंबर 1986 को बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया था।
हिंदी सिनेमा ने शानदार एक्टिंग के पहचानी जाने वाली स्मिता अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से भी सुर्खियों में रहीं।अभिनेता राज बब्बर के संग उनके इश्क के चर्चे हर तरफ होते थे।राज बब्बर पहले से नादिरा बब्बर से शादी कर चुके थे।उनके दो बच्चे आर्य बब्बर और जूही बब्बर भी थे। 1984 में फिल्म 'आज की आवाज में दोनों ने साथ काम किया और दोनों का इश्क शुरु हो गया।उस समय की खबरों के अनुसार दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में भी रहने लगे थे, इस वजह से स्मिता पाटिल को काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी।
स्मिता पाटिल अपने समय की हॉट एक्ट्रेस थीं, जो साड़ी में भी कमाल कर जाती थीं।उन्होंने अपनी फिल्मों में अमिताभ बच्चन, ओमपुरी, कुलभूषण खरबंदा और राज बब्बर के साथ कुछ हॉट सीन भी दिए।
स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और दीप्ति नवल ने साथ में कई फिल्मों में काम किया।मगर वो कहते हैं ना दो एक्ट्रेस कभी दोस्त नहीं हो सकती, ऐसा ही कुछ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी के साथ भी हुआ। उस दौर में इन दोनों अभिनेत्रियों में कड़ी टक्कर होती थी। जहां शबाना आजमी अपनी दमदार एक्टिंग से फिल्ममेकर्स की पसंद बन गईं थीं, वही स्मिता पाटिल भी हर रोज नई मिसाल कायम कर रही थीं। शबाना ने उस दौर में स्मिता पाटिल को लेकर कुछ ऐसी बातें कहीं जिनका उन्हें आज भी अफसोस है। स्मिता पाटिल की बायोग्राफी के लॉन्च पर शबाना पहुंचीं थीं। जहां उन्होंने खुद कहा था कि, 'हम कभी दोस्त नहीं थे। हमारे बीच जो होड़ थी वो कुछ मीडिया की कहीं बातें थी और उनमें कुछ सच्चाई भी थी। मैंने पहले भी कहा था कि मुझे बेहद पछतावा है कि मैंने स्मिता पाटिल के खिलाफ कठोर बातें कही थीं।'
एक्टिंग के अलावा स्मिता पाटिल महिलाओं के मुद्दों पर भी काम करती थीं। स्मिता फिल्मों में भी ऐसी भूमिका को प्राथमिकता देती थीं जो वुमेन सेंट्रिक हो। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ वुमन सेंट्रिक फिल्में ही की, बाद में स्मिता ने कमर्शियल फिल्मों की तरफ रुख किया।वो ऐसी अभिनेत्रियों में शुमार रहीं, जिन्होंने ये साबित किया कि गंभीर मुद्दों पर फिल्मों में काम के साथ कमर्शियल फिल्में भी की जा सकती हैं।
स्मिता पाटिल के पिता शिवाजी राय पाटिल, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे जबकि उनकी मां एक समाज सेविका थी। न्यूज रीडर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली स्मिता पाटिल ने महज 21 साल में नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर लिया था।स्मिता ने पुणे के फिल्म और टेलीविजन इंस्टिट्यूट से एक्टिंग का कोर्स किया।निर्देशक श्याम बेनगल ने स्मिता को न्यूज पढ़ते समय देखा और स्मिता को 2 फिल्में ऑफर कर दीं। हिंदी सिनेमा में साल 1975 में आई फिल्म 'चरणदास चोर' से फिल्मी करियर की शुरुआत की।इसके बाद 1977 में स्मिता पाटिल को फिर श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्म 'मंथन' और 'भूमिका' में कास्ट किया। 'भूमिका' में बेहतरीन अदाकारी के लिए स्मिता पाटिल ने 21 साल की उम्र में नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर लिया। उनकी छाप छोड़ने वाली फिल्मों में 'आक्रोश' (1980), 'चक्र' (1982), 'गुलामी' (1985), 'मिर्च मसाला' (1987), 'अर्थ', 'मंडी' और 'निशांत' शामिल हैं।
स्मिता ने उस दौर में कई आर्ट फिल्मों में भी काम किया। उस दौर में आर्ट फिल्मों का क्रेज कुछ कम था और उन फिल्मों के कलाकारों को कम ही पहचान मिलती थी, लेकिन स्मिता खुशकिस्मत अदाकाराओं में शामिल थीं जिन्हें पहचान भी मिली और दर्शकों का प्यार भी मिला। उन्होंने समानांतर सिनेमा के साथ-साथ कमर्शियल सिनेमा में भी शोहरत हासिल की है। उनके अभिनय की छाप कुछ ऐसी थी कि हर निर्माता-निर्देशक उनके साथ काम करना चाहता था। सांवले रंग और आंखों से बोलने वाली स्मिता ने कई अवॉर्ड भी अपने नाम किए।
Created On :   17 Oct 2018 12:50 PM IST