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बॉलीवुड: सुपरस्टार कृष्णा: टॉलीवुड ने खोया अपना ट्रेंडसेटर

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। टॉलीवुड सुपरस्टार कृष्णा के निधन के साथ, तेलुगु फिल्म उद्योग में एक युग का अंत हो गया है। टॉलीवुड के अंतिम दिग्गजों में से एक, कृष्णा ने मंगलवार तड़के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उन्हें कार्डियक अरेस्ट के बाद रविवार देर रात भर्ती कराया गया था।
सुपरस्टार कृष्णा के रूप में लोकप्रिय, उन्होंने पांच दशकों तक अपनी साहसी और डैशिंग हीरो छवि के साथ उद्योग पर अपना दबदबा बनाया। उन्हें न केवल पर्दे पर विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के लिए जाना जाता है, बल्कि फिल्म निर्माण के लिए नवीनतम तकनीकों के उपयोग में अग्रणी होने के लिए भी जाना जाता है।
31 मई, 1942 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के बुरिपालेम में घट्मानेनी शिव राम कृष्ण मूर्ति के रूप में जन्मे, उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। इसके साथ ही उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया। वह वीरराघविया चौधरी और नागरत्न के पांच बच्चों में सबसे बड़े थे। जहां उनके माता-पिता चाहते थे कि वह एक इंजीनियर बनें, वहीं कृष्णा की बचपन से ही अभिनय में रुचि थी। स्नातक स्तर की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने एलुरु में एक कार्यक्रम में भाग लिया जहां अभिनेता अक्किनेनी नागेश्वर राव को सम्मानित किया गया। सिनेमा में उनकी रुचि और बढ़ गई और उन्होंने इस क्षेत्र में प्रवेश करने का फैसला किया।
चूंकि कुछ जाने-माने अभिनेता और फिल्म निर्माता तेनाली के थे, इसलिए कृष्णा उनसे मिलने मद्रास गए। कुछ देर रुकने की सलाह पर वह घर लौट आया और प्रजा नाट्य मंडली में शामिल हो गया। अभिनय कौशल सीखने के लिए उन्होंने कुछ नाटकों में अभिनय किया। कुछ फिल्मों में छोटी भूमिकाएँ निभाने के बाद, कृष्णा ने औपचारिक रूप से 1964 में थेने मनसुलु से शुरूआत की, जो हिट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने कई सारे फिल्में की जो कि सुपर्हिट साबित हुई।
हैंडसम दिखने वाले अभिनेता को आंध्र जेम्स बॉन्ड के नाम से जाना जाने लगा। बाद में उन्होंने छह और फिल्मों में इसी तरह की भूमिकाएँ निभाईं। कृष्णा और उनकी फिल्में टॉलीवुड में ट्रेंडसेटर बन गईं। बापू द्वारा निर्देशित साक्षी (1967) पहली तेलुगु फिल्म थी जिसे पूरी तरह से बाहरी स्थानों पर शूट किया गया था। फिल्म को ताशकंद फिल्म समारोह में आलोचकों की प्रशंसा मिली। यह विजया निर्मला के साथ कृष्णा की पहली फिल्म भी थी, जिनसे उन्होंने बाद में शादी की।
इस सफलता के बाद कृष्ण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने समय के सबसे व्यस्त अभिनेताओं में से एक, वह हर साल कम से कम एक दर्जन फिल्मों में काम कर रहे थे। 1969 में उनकी 15 फिल्में रिलीज हुईं। यह सिलसिला पूरे 1970 के दशक में जारी रहा। उन्होंने 1972 में कम से कम 18 फिल्मों में काम किया। एक समय में वे तीन शिफ्टों में काम कर रहे थे।
लगातार हिट फिल्मों ने उन्हें टॉलीवुड में सुपरस्टार बना दिया। बेहद हैंडसम होने के कारण उन्हें रियल हीरो भी कहा जाता था। वह सीधी धूप के संपर्क में न आ कर अपनी चमकदार त्वचा का खास ख्याल रखते थे। मोसागल्लाकु मोसागडु (1971) के साथ, उन्होंने टॉलीवुड में काउबॉय ट्रेंड की शुरूआत की। उनकी 1972 की फिल्म पंडंती कपूरम ने उस वर्ष के लिए तेलुगु में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। सुपरस्टार ने 1970 में पद्मालय स्टूडियो की स्थापना की और कुछ बेहद सफल और ट्रेंडसेटिंग फिल्मों का निर्माण किया।
कृष्णा को अल्लूरी सीताराम राजू (1974) जैसी कई ऐतिहासिक फिल्मों के लिए जाना जाता है। अल्लूरी सीताराम राजू में, उन्होंने क्रांतिकारी आदिवासी योद्धा अल्लूरी की भूमिका निभाई और यह फिल्म अपने समय की सबसे बड़ी कमाई करने वाली फिल्म बन गई। कृष्णा को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का करीबी माना जाता था। वह 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और महान अभिनेता एन.टी. रामा राव, जो राजनीति में प्रवेश करने के नौ महीने के भीतर 1982 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। कृष्णा ने एनटीआर और उनकी सरकार की आलोचना करते हुए कुछ फिल्में बनाई थीं।
कृष्णा 1989 में एलुरु से लोकसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन 1991 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए। राजीव गांधी की हत्या के बाद कृष्णा ने राजनीति से दूरी बना ली थी उन्हें 2003 में एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले। 2009 में, उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। कृष्णा ने 1965 में इंदिरा देवी से शादी की। उनके दो बेटे थे जिनमें लोकप्रिय अभिनेता महेश बाबू और तीन बेटियां शामिल थीं। 1969 में उन्होंने अभिनेता विजया निर्मला से शादी की। 2019 में उनकी मृत्यु हो गई। सितंबर में अपनी पत्नी इंदिरा देवी की मृत्यु के बाद से सुपरस्टार को उदास रहने की सूचना मिली थी। इस साल की शुरूआत में, उन्होंने अपने बड़े बेटे रमेश बाबू को खो दिया।
(आईएएनएस)
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भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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