सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत मामले में पूर्ण न्याय का भरोसा दिया

Supreme Court gave assurance of full justice in Sushant case
सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत मामले में पूर्ण न्याय का भरोसा दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत मामले में पूर्ण न्याय का भरोसा दिया

नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच का आदेश देने वाले सुप्रीम कोर्ट को एक मामले के रूप में याद किया जाएगा, जहां एक एकल न्यायाधीश की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग किया।

न्यायाधीश हृषिकेश रॉय ने न्यायाधीश एल. एस. पेंटा निर्णय को उद्धृत करते हुए कहा, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत, यह न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र की कवायद में इस तरह के निर्णय पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है, जो किसी भी विषय या मामले के सामने लंबित होने पर पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक है। किसी भी विषय या मामले में अदालत में लंबित कोई भी कार्यवाही शामिल होगी और यह अदालत में लगभग हर तरह की कार्यवाही को शामिल करेगी, जिसमें नागरिक (सिविल) या अपराध (क्रिमिनल) जैसे मामले शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 142 (1) के तहत पूर्ण न्याय करने की उसकी शक्ति पूरी तरह से अलग स्तर की है और एक अलग गुणवत्ता की है।

न्यायाधीश रॉय ने पेंटा के फैसले का हवाला देते हुए कहा, पूर्ण न्याय करने के लिए अनुच्छेद 142 (1) के तहत न्यायालय की यह शक्ति पूरी तरह से अलग स्तर की है और एक अलग गुणवत्ता की है। किसी विषय या मामले में पूर्ण न्याय की क्या आवश्यकता होगी, यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। साथ ही उस शक्ति का प्रयोग करते हुए न्यायालय ने एक ठोस कानून के प्रावधानों पर विचार किया है।

पेंटा के फैसले का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति रॉय ने कहा, यह अनुपात (रेशो) स्पष्ट करता है कि एक योग्य मामले में सुप्रीम कोर्ट न्याय प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 142 में प्रदत्त शक्तियों को लागू कर सकता है। इस मामले में अजीब परिस्थितियों के लिए आवश्यक है कि इस मामले में पूर्ण न्याय किया जाए। यह कैसे हासिल किया जाना है, यह अब तय किया जाना चाहिए।

न्यायाधीश रॉय ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र सरकारें एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक हस्तक्षेप के तीखे आरोप लगा रही हैं और जांच संदेह के घेरे में आ गई है। न्यायमूर्ति रॉय ने कहा, दुर्भाग्य से इन घटनाओं में देरी और जांच को गलत ठहराने की प्रवृत्ति है। ऐसी स्थिति में सत्य के हताहत होने और न्याय के शिकार होने की उचित आशंका है।

न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि जांच में जनता का विश्वास सुनिश्चित करना और मामले में पूर्ण न्याय करते हुए न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को लागू करना उचित समझता है।

न्यायमूर्ति रॉय ने महाराष्ट्र सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया कि है, जिसमें स्थानीय पुलिस द्वारा जांच किए जाने पर जोर दिया जा रहा था।

न्यायमूर्ति रॉय ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने को कहा है।

एकेके/एसजीके

Created On :   19 Aug 2020 6:01 PM IST

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