सुशांत मामला : मुंबई पुलिस के बचाव में पूर्व आईपीएस अफसरों ने निकाली रैली

Sushant case: Former IPS officers rally in defense of Mumbai Police
सुशांत मामला : मुंबई पुलिस के बचाव में पूर्व आईपीएस अफसरों ने निकाली रैली
सुशांत मामला : मुंबई पुलिस के बचाव में पूर्व आईपीएस अफसरों ने निकाली रैली
हाईलाइट
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मुंबई, 3 सितंबर (आईएएनएस)। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के हाई प्रोफाइल मामले और इससे जुड़े मीडिया ट्रायल और जांच में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए मुंबई पुलिस की ओर से आठ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों ने एक साथ रैली की।

महाराष्ट्र पुलिस में शीर्ष पदों पर रह चुके आठ पूर्व अधिकारियों ने इस मामले में मुंबई पुलिस के खिलाफ अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और झूठे मीडिया ट्रायल को रोकने के निर्देश के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और जनहित याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ताओं में एम.एन. सिंह, पी.एस. पसरीचा, डी.एन. जाधव, डी. शिवनंदन, संजीव दयाल, के. सुब्रमण्यम, एस.सी. माथुर और के.पी. रघुवंशी शामिल हैं। ये सभी सेवानिवृत्ति के वक्त डायरेक्टर-जनरल स्तर पर रहे हैं।

वहीं गृहमंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों के इस कदम की सराहना की।

देशमुख ने संवाददाताओं से कहा, महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस की भी प्रतिष्ठा है। उनकी तुलना स्कॉटलैंड यार्ड से की जाती है .. जिस तरह से (सुशांत) मामले में मुंबई पुलिस को निशाना बनाया गया, मैं पीआईएल का स्वागत करता हूं।

यह याचिका एक प्रमुख कानूनी फर्म क्रॉफोर्ड, बेले एंड कंपनी के माध्यम से दायर की गई है। उसके वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने पीआईएल में यूनियन और राज्य सरकारों, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन का नाम दिया है। याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है।

याचिकाकर्ताओं ने अन्य बातों के साथ ही मीडिया हाउस, चाहे वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो, इंटरनेट या टेलीविजन या किसी भी अन्य रूप में, किसी भी झूठे, अपमानजनक और अशोभनीय टिप्पणियों को प्रकाशित करने और प्रसारित करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट, समाचार कहानियां आदि, जो पुलिस की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल सकती हैं और लोगों का सिस्टम और पुलिस प्रशासन से विश्वास हटा सकती हैं, या न्याय- प्रशासन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं, उसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।

उन्होंने नैतिक रिपोर्टिग और जिम्मेदार पत्रकारिता के संबंध में निर्देश जारी करने और अधिकारियों द्वारा लगातार उसकी निगरानी करने और किसी भी मीडिया हाउस द्वारा इसका उल्लंघन किए जाने पर कार्रवाई के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

पीआईएल में कुछ टीवी चैनलों को नामित किया गया है, जो अपनी बायस्ड रिपोर्टिग और झूठे प्रचार के माध्यम से केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी वजह से (सुशांत) मामले के तथ्यों और मुंबई पुलिस, स्वास्थ्य सेवाओं और राज्य में अन्य सहायता सेवाओं के बारे में लोगों के दिमाग में संदेह उत्पन्न हो गया है।

उन्होंने बताया कि मुंबई पुलिस भारत के सबसे पुराने बलों में से एक है, जिसने हमेशा पेशेवर क्षमता और सार्वजनिक सेवा के लिए अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है और इसे नीचा दिखाने के लिए कोई भी दुर्भावनापूर्ण या गैर-जिम्मेदाराना प्रयास जनहित में नहीं है।

हालांकि पीआईएल में प्रेस, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भूमिका का पूरी तरह से समर्थन किया गया है। उन्होंने मीडिया रिपोर्टिग, विशेष रूप से टीवी चैनलों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।

एमएनएस/एसजीके

Created On :   3 Sept 2020 5:30 PM IST

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