स्वरा भास्कर का भंसाली को खुला खत, महिलाओं को लेकर कही ये बात
डिजिटल डेस्क, मुंबई। निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्मावत" को फिल्म इंडस्ट्री के सितारों का जहां सपोर्ट मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी बॉलीवुड सितारे हैं जिन्होंने इस फिल्म के कंटेंट पर विरोध जताया है। विरोध जताने वाले इन कलाकारों में शामिल हो गई हैं अनारकली ऑफ आरा, तनु वेड्स मनु, प्रेम रतन धन पाओ, निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना चुकी एक्ट्रेस स्वरा भास्कर। जिनका कहना है कि भंसाली ने अपनी फिल्म में सती प्रथा और जौहर का महिमामंडन किया है।
क्लाइमेक्स पर जताई आपत्ति
स्वारा भास्कर ने एक ओपन लेटर लिखकर फिल्म को लेकर अपना गुस्सा जताया है। उनके इस ओपन लेटर की शुरुआत ‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina – Only’ हेडिंग से हुई। इसके बाद स्वरा ने पहले भंसाली और फिल्म की स्टार कास्ट की तारीफ की। फिल्म में पेश की गई महिलाओं की छवि से नाराज स्वरा ने लेटर में लिखा है कि भंसाली जी ने फिल्म में सती और जौहर प्रथा का महिमामंडन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिल्म में महिलाओं को ‘वजाइना’ के तौर पर सीमित कर दिया गया है। फिल्म के क्लाइमेक्स पर आपत्ति जताते हुए स्वरा ने लिखा संजय लीला भंसाली को लिखा है कि ‘सर, महिलाओं को रेप का शिकार होने के अलावा जिंदा रहने का भी हक है।"
I loved the performances by all the actors in #Padmaavat - The film is seductive in its grandeur, scale, beauty, power of its actors’s performances, music, design, vision... and therein lies the problem! Some thoughts.. sorry abt the length https://t.co/0hYnvlAvAD
— Swara Bhasker (@ReallySwara) January 27, 2018
महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं
इतना ही नहीं स्वरा आगे लिखती है कि "पुरुष का मतलब आप जो भी समझते हो-पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्शुअलिटी तय करने वाले, उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है।" स्वरा का गुस्सा यहीं शांत नहीं हुआ, इसके आगे भी स्वरा और तीखे शब्दों का इस्तमाल करते हुए लिखती हैं कि ‘महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं। हां महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है। इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए। वजाइना के बाहर भी एक जिंदगी है। बलात्कार के बाद भी एक जिंदगी है।’
स्वरा ने अपने द्वारा लिखे गए इस ओपन लेटर में ये माना है कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और जौहर, सती जैसी कुप्रथाएं हमारे ही समाज का हिस्सा हैं, लेकिन फिल्म की शुरुआत में इन कुप्रथाओं के खिलाफ डिस्क्लेमर के जरिए निंदा करने का कोई मतलब नहीं है अगर अगले तीन घंटे की फिल्म में आपको राजपूत आन-बान-शान का महिमामंडन करना है। स्वरा अपने इस पोस्ट के लिए ट्रोलर्स का शिकार भी हो रही हैं। बता दें कि कुछ ही दिनों पहले स्वरा खुद #MeToo अभियान का हिस्सा बनकर सेक्सुअल हैरसमेंट पर अपनी बात रख चुकी है।
Created On :   28 Jan 2018 2:37 PM IST