हिंसा सामन्य हो जाती है अगर पीड़ित उसे स्वीकार लेते हैं : अनुभव सिन्हा
- हिंसा सामन्य हो जाती है अगर पीड़ित उसे स्वीकार लेते हैं : अनुभव सिन्हा
मुंबई, 29 फरवरी (आईएएनएस)। हालिया रिलीज फिल्म थप्पड़ के साथ निर्देशक अनुभव सिन्हा ने किसी रिश्ते में महिला के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान पर लोगों के ध्यान को केंद्रित किया है और इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि इस पितृसत्तात्मक समाज में एक निश्चित मानसिकता के साथ किस तरह सदियों से इस तरह की चीजों के साथ समझौता किया जाता रहा है।
सिन्हा का मानना है कि इस तरह की स्थिति के लिए केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी समान जिम्मेदार होती हैं।
फिल्मकार ने आईएएनएस को बताया, कहीं न कहीं महिलाएं, परिवार में एकजुटता बनाए रखने के लिए सामंजस्यता की इस पूरी प्रथा के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, जहां महिलाओं को आत्म-सम्मान सहित कई चीजों के साथ समझौता करना पड़ता है। देखिए, हिंसा उस वक्त सामान्य हो जाती है, जब लोग इसे स्वीकार कर लेते हैं।
उन्होंने अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा, अगर एक महिला के तौर पर आपको यह समझाया जाता है कि रिश्ते में इस तरह का अपमानजनक व्यवहार चलता है-क्योंकि वह इसे बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, वह इसे सामान्य कर देगी और वह अपनी आवाज कभी नहीं उठाएगी। ऐसा सदियों से होता आ रहा है। ऐसे में, एक थप्पड़ को न केवल स्वीकार कर लिया जाता है, बल्कि महिलाओं द्वारा इस सोच को आगे बढ़ाया भी जाता है।
तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आजमी, दीया मिर्जा, राम कपूर और कुमुद मिश्रा अभिनीत थप्पड़ शुक्रवार को रिलीज हुई और इसने अब तक भारत में 3.07 करोड़ का ही कारोबार किया है, हालांकि फिल्म को जमकर सराहना मिल रही है।
Created On :   29 Feb 2020 7:01 PM IST