मर्जी ना हो तब भी, पति की मौत के बाद यहां विधवा के साथ होता है ऐसा

डिजिटल डेस्क, मंडला. वक्त बदले, लेकिन हालात न बदले तो स्थिति दयनीय होती है। ऐसा ही कुछ होता है मंडला जिले के इस आदिवासी अंचल में। जहां परंपराओं के नाम पर महिलाओं को ऐसे दर्द से गुजरना पड़ता है, जो उनकी आत्मा को भी चीर कर रख देती हैं। जिंदगी और वक्त का कहर और अधिक दर्दनाक बना देती हैं ये परपंराएं, यहां हम आपको इनके ही बारे में बताने का प्रयास कर रहे हैं...
मंडला के समीप निवास में अब भी पति की मृत्यु पर महिलाओं को मुंडन कर दिया जाता है। फिर चाहे इसमें महिला की मर्जी हो या नहीं। बीते दिनों वार्ड क्रमांक 6 में रामचरण नामक व्यक्ति की मृत्यु पर उसकी पत्नी का जबरन नर्मदा किनारे मुंडन कर दिया गया था। वह ऐसा ना करने गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई। यह ऐसा पहला मामला नही है, बल्कि जब भी किसी स्त्री के पति की मृत्यु होती है तो उसे मुंडन के नाम पर एक और दर्द दिया जाता है। ये परंपरा यहां काफी पुरानी है।
दूसरी शादी से पहले पवित्र
बैगा चक में रहे रहे बैगाओं में महिलाओं को पति की मौत के बाद दूसरी शादी के लिए महिला को एक और परीक्षा से गुजरना पड़ता है। प्रचलित परंपरा के अनुसार मवई में महिलाओं को दूसरी शादी करने से पहले पवित्र किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान महिला को गरम पानी से नहलाया जाता है। जब तक उन्हें पुन: शुद्ध नहीं मान लिया जाता दूसरा विवाह संभव नही है।
बुजुर्ग महिलाओं की युवा देवर या पोते से शादी
नाती-पोटो या देवर पाटो विवाह भी ऐसा ही है। इसमें कई बार बुजुर्ग महिलाओं की शादी उनके युवा देवर या पोते से कर दी जाती है। ऐसे विवाह को इनके समाज में मान्यता भी प्राप्त है। बेहंगा गांव में आज भी ये परंपरा बरकरार है और महिला के पति की मृत्यु के दसवें दिन ही उसका दूसरा विवाह करा दिया जाता है। कई बार इस विवाह में देवर भाभी या दादी की मर्जी भी शामिल नहीं होती। फिर भी इस विवाह को करा दिया जाता है। इस परंपरा में बाकायदा गांव के बड़े बुजुर्ग भी शामिल होते हैं।
Created On :   12 July 2017 11:43 AM IST