यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सिख और इस्कॉन वालंटियर परोस रहे खाना, जानें वायरल तस्वीरों का सच

Sikh and ISKCON volunteers serving food to people in Ukraine-Russia war, know the truth
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सिख और इस्कॉन वालंटियर परोस रहे खाना, जानें वायरल तस्वीरों का सच
फर्जी खबर यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सिख और इस्कॉन वालंटियर परोस रहे खाना, जानें वायरल तस्वीरों का सच

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन में रूस के हमले के बाद से स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। हर तरफ लोग हैरान-परेशान, भूखे-प्यासे दिखाई पड़ रहे हैं। सभी जगह से लोग इस जंग के पीड़ितों के लिए मदद भेजने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें तेज़ी से शेयर हो रहीं हैं। इन तस्वीरों में विपत्ति-ग्रस्त लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था दिख रही है। 

कुछ यूज़र्स ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए ये दावा किया किया कि इस्कॉन मंदिर ने मुसीबत में फंसे लोगों की मदद के लिए कदम उठाया है। साथ ही कई लोग कुछ और फोटोज़ शेयर कर सिख वर्ग के लोगों को लंगर आयोजन के लिए दुआएं दे रहे हैं। ये तस्वीरें फेसबुक और ट्विटर पर वायरल की जा रहीं हैं। क्या यूक्रेन के हालातों के ये वीडियोज और तस्वीरें सही हैं, आइए जानते हैं...

वायरल फोटोज़ का सच
पहली तस्वीर-
1. तस्वीर में देखा जा सकता है कि फूड ट्रक पर "गुरु नानक का लंगर" लिखा है और आस पास लोग लंगर खा रहे हैं। फूड ट्रक पर लेखन के आधार पर हमने इसे ट्विटर पर सर्च किया तो हमें 2016 में किये गए ट्वीट में ये तस्वीरें मिलीं। 
2. हमें इसी से मिलता जुलता एक और ट्वीट मिला। इस ट्वीट से ये पता चलता है कि ये तस्वीरें कनाडा कि हो सकती हैं। इस फोटो में "सेवा सोसाइटी" के फ़ेसबुक पेज के लिंक के साथ लंगर सेवा का एक पोस्टर है।
फ़ेसबुक पर सिख सेवा सोसाइटी सर्च करने पर हमें "SEWA" का एक बयान मिला जिसमें उन्होंने ये स्पष्ट किया है कि ये तस्वीर 2016 की है और फ़िलहाल कनाडा के बाहर एसी कोई भी सेवा जारी नहीं है। 

दूसरी तस्वीर-
1. इस तस्वीर में इस्कॉन भक्तों को लोगों को खाना खिलाते हुए देखा जा सकता है। इसे गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर 2019 के एक ब्लाग पोस्ट में ये फोटोज़ मिलीं। इन वायरल तस्वीरों को नए टैब में खोलने पर सामने आया कि ये असल में 2015 में पोस्ट की गईं फोटोज़ हैं। 
2.फोटोज़ की EXIF ​​डेटा की जांच में मालूम चला कि ये तस्वीर 29 मार्च 2015 को जीवन विल्होइट ने लिया था।
3. इस्कॉन के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि यूक्रेन में फ़से लोगों की मदद करने के लिए इस्कॉन मंदिरों के दरवाज़े खुले हैं। इस थ्रेड में खाना परोसने वाले इस्कॉन वालंटियर की एक वायरल तस्वीर भी शामिल है। उन्हीं के एक और ट्वीट में राधारमण दास ने बताया कि इस्कॉन के वालंटियर ने चेचन्या युद्ध के दौरान भी ज़रूरतमंद लोगों को भोजन परोसा था। उनके इस ट्वीट से जुड़ी तस्वीर इस्कॉन की आधिकारिक वेबसाइट पर मिली जिसे 2015 में अपलोड किया गया था।

निष्कर्ष
इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास के ट्वीट में शेयर की गईं तस्वीरों को हाल ही में घटित हो रहे हादसों से जोड़ा गया, जबकी ये तस्वीरें पुरानी हैं। ये साफ है कि इन वायरल हो रहीं फोटोज़ का यूक्रेन-रूस विवाद से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। 

मगर ये कहने वाली बात है कि सिख समुदाय और इस्कॉन दोनों ने ही कथित तौर पर यूक्रेन में पीड़ित लोगों कि मदद के लिए काम कर रही हैं। सिख समुदाय ने यूक्रेन से पोलिश बॉर्डर जाने वाले छात्रों के लिए कथित तौर पर “ट्रेन में लंगर” का आयोजन किया है।   

Created On :   4 March 2022 10:57 AM GMT

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