आगरा ने कोरोना को रोकने के लिए नए तरीके से सैंपलिंग की पहल की

Agra initiates sampling in a new way to stop Corona
आगरा ने कोरोना को रोकने के लिए नए तरीके से सैंपलिंग की पहल की
आगरा ने कोरोना को रोकने के लिए नए तरीके से सैंपलिंग की पहल की
हाईलाइट
  • आगरा ने कोरोना को रोकने के लिए नए तरीके से सैंपलिंग की पहल की

आगरा, 16 जुलाई (आईएएनएस)। कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत बनाने के लिए आगरा जिला स्वास्थ्य प्रबंधन ने रैंडम सैंपलिंग और स्टेप-अप, स्टेप डाउन पहल अपनाया है, जिससे कि वायरस की रोकथाम में बेहतर परिणाम मिल सके।

एस.एन. मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने संक्रमण की जांच के लिए विभिन्न वाडरें में कोविड-19 के रोगियों को अलग-अलग रखना शुरू कर दिया है। नए रोगियों को एक अलग वार्ड में भर्ती किया जा रहा है, वहीं जो पूरी तरह से ठीक हो गए हैं या आंशिक रूप से ठीक हो गए हैं, उन्हें एक अलग वार्ड में स्थानांतरित किया जा रहा है, जिसे ट्रांजिशनल एससेलेरेटेड रिकवरी वार्ड नाम दिया गया है।

आगरा के जिला स्वास्थ्य अधिकारी अब भीड़-भाड़ वाले स्थानों, बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों या बाजारों में रैंडम सैंपलिंग कर रहे हैं। कोरोना टास्क फोर्स के अधिकारियों ने दावा किया कि प्रारंभिक परिणाम पूल सैंपलिंग से बेहतर हैं।

जिले में करीब 49 लाख लोगों को कवर करने वाले कोविड सर्विलांस प्रोग्राम के शुरुआती परिणामों से पता चला है कि संक्रमण काफी हद तक फैल चुका है। करीब 1,808 संदिग्ध मामलों में से सिर्फ चार या पांच पॉजिटिव पाए गए। अधिक परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है।

हालांकि, कार्यकर्ताओं के स्वतंत्र समूहों ने इन दावों और साथ ही जिला अधिकारियों द्वारा जारी किए गए प्रतिदिन के आंकड़ों पर संदेह व्यक्त किया है। ज्यादातर शिकायतें यह थी कि पर्याप्त नमूनों की जांच नहीं की गई थी और लोगों को आवश्यक देखभाल सुविधा नहीं मिल रही थी। उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोग होम क्वारंटाइन में हैं और हर दिन उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

आगरा में कोविड-19 हेल्प ग्रुप के प्रमुख विवेक साराभोय ने कहा, जो प्रस्तुत किया जा रहा है, स्थिति उससे कहीं अधिक खराब है।

आईएएनएस से बात करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता और कोविड हेल्प ग्रुप के प्रमुख साराभोय ने कहा, दुनियाभर में मानव जाति जिसके कारण सबसे अप्रत्याशित पीड़ा का सामना कर रही है, उसे न तो देखा जा सकता है और न ही पकड़ा जा सकता है, और इस दुश्मन से लड़ने के लिए हमारे पास बंदूकें भी नहीं हैं, हम सभी के लिए सबसे बुरा समय, इसकी तुलना विश्वयुद्ध से भी नहीं हो सकती है, क्योंकि यह दुश्मन मनुष्यों को बिना किसी चेतावनी के जॉबिंज के रूप में परिवर्तित कर देता है और अभी तक हमारे पास इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है।

विवेक ने सुझाव दिया कि सरकार को शहरों में सिर्फ कोविड के लिए कुछ अधिकारियों को और साथ ही साथ आत्मनिर्भर गैर सरकारी संगठन के लोगों को नियुक्त करना चाहिए, जो लोगों की शिकायतों को सुनने और उसका समाधान करने में सक्षम रहेंगे। इस टीम का गठन सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से होगा, जो कोविड के मुद्दों और मामलों की देखभाल के लिए पूरी तरह से समर्पित होगी। यह टीम बड़ी संख्या में निजी डॉक्टरों को भी शामिल करेगी, जो सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर समाज के लिए काम करने के लिए तैयार होंगे।

विवेक ने आगे सुझाव दिया कि, इस टीम पर शहर के मैपिंग, सैनिटाइजेशन, सामुदायिक जागरूकता, कानून और व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाओं, भोजन की आवश्यकता, दवा, रोगियों, आइसोलेशन वार्डस, क्वारंटाइन किए गए व्यक्तियों की जिम्मेदार होगी। वे रोस्टरों पर भी काम करेंगे, क्योंकि यह सिर्फ एक दिन का काम नहीं है, वहीं कोविड फिलहाल आगामी दो महीनों तक तो खत्म होने वाला नहीं है।

दूसरी बात यह कि हमने देखा कि देशभर में कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारी जनता के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया। चूंकि पुलिस इस स्थिति में काम करने में सक्षम नहीं है, इसलिए हमें कानून व्यवस्था की स्थिति का ध्यान रखने के लिए पीएसी, आरएएफ, सीआईएसएफ इत्यादि जैसे अन्य बलों की आवश्यकता है।

Created On :   16 July 2020 2:00 PM IST

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