कांग्रेस ने गुजरात की स्वास्थ्य प्रणाली को बताया बीमार
नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने रविवार को गुजरात की स्वास्थ्य प्रणाली को बीमार बताते हुए गुजरात सरकार पर जमकर निशाना साधा और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भी आलोचना की। दोनों नेताओं का गृहराज्य गुजरात है।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, आज हमारे पास स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (राज्य में) नहीं है; हमारे पास एक बीमार प्रणाली है। कोविड संकट से निपटने में गुजरात सरकार की अक्षमता से पता चलता है कि यह क्षीण आत्मविश्वास और अल्प-प्राप्ति (अधिक सफलता न मिलना) के अलावा दुर्बल है।
उन्होंने कहा, मोदी के गृहराज्य में और शाह के निर्वाचन क्षेत्र के हिस्से में चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा को देश के ध्यान में लाना मेरा दुखद कर्तव्य है। (अहमदाबाद के चार विधानसभा क्षेत्र गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में आते हैं)।
सिंघवी ने इस दौरान केंद्र और राज्य से सवाल पूछते हुए कहा, क्या उनको मालूम है कि प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के गृह राज्य में क्या हो रहा है? अगर हां, तो इन मामलों में क्या कोई ठोस एक्शन लिया है? क्या गुजरात के विषय में समान मापदंड अपनाए गए हैं?
सिंघवी ने कहा कि अगर ऐसे ताकतवर लोग, जो सत्ता नियंत्रित करते हैं, गरीबों और जरूरतमंदों को उनके घरेलू क्षेत्र में ही न्याय प्रदान करने में असमर्थ हैं तो भारत के बाकी करोड़ों लोग उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने सिविल अस्पताल, अहमदाबाद में पीपीई की कमी, वेंटिलेटर की कमी, आईसीयू और अलग वार्ड जैसी सुविधाओं की दयनीय स्थिति पर गुजरात हाईकोर्ट की टिप्पणियों का उल्लेख भी किया।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी देखा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को यह पता नहीं लगता है कि प्रदेश में क्या चल रहा है और न ही वे कभी अस्पताल का दौरा करते हैं।
उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस के कारण बिगड़ती स्थिति पर राज्य सरकार को कड़ी फटकरा लगाई है। इतना ही नहीं, अदालत ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को काल कोठरी से भी बदतर बताया है। हाईकोर्ट ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना डूबते हुए टाइटैनिक जहाज से की है।
अदालत ने कहा कि गुजरात देश के सबसे ज्यादा पीड़ित तीन राज्यों में से एक है और प्रदेश के स्वास्थ मंत्री को मालूम नहीं कि क्या चल रहा है? शायद वो कभी सिविल अस्पताल के आसपास भी नहीं गए।
अदालत ने कहा, गुजरात सरकार ने जिन निजी संस्थाओं को टेस्ट के लिए नोटिफाइड किया था, वहां भी प्राइवेट टेस्टिंग को प्रतिबंधित कर दिया है और सरकारी अस्पताल से लिखवाकर लाने पर ही शायद वो टेस्ट करें।
Created On :   24 May 2020 5:30 PM IST