अमेरिका में बसे भारतीय डॉक्टरों से केन्द्रीय मंत्री अर्जून मुंडा ने की कोविड-19 महामारी पर चर्चा

Union Minister Arjun Munda discusses Kovid-19 epidemic with Indian doctors settled in America
अमेरिका में बसे भारतीय डॉक्टरों से केन्द्रीय मंत्री अर्जून मुंडा ने की कोविड-19 महामारी पर चर्चा
अमेरिका में बसे भारतीय डॉक्टरों से केन्द्रीय मंत्री अर्जून मुंडा ने की कोविड-19 महामारी पर चर्चा

नई दिल्ली, 12 मई (आईएएनएस)। देश मे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य मिलकर हर संभव उपाय कर रहे हैं। केन्द्र और राज्यों की संयुक्त प्रयास से एक वायरस को रोक पाने में सफलता भी मिली है। वायरस का और ज्यादा फैलाव न हो ,इसके लिये कई सामाजिक और राजनीतिक नेता अपने अपने स्तर से प्रयास भी कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ प्रयास कर रहे हैं केन्द्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अजुर्न मुंडा।

जनजातीय कल्याण मंत्री अजुर्न मुंडा ने कोविड -19 वायरस के रोकथाम को लेकर अमेरिका में काम रहे रहे भारतीय डॉक्टरों के एसोसिएशन बिहार झारखंड असोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिकी के प्रतिनिधियों से बात की।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित किये गये इस बैठक में ,अमेरिका में काम कर रहे भारतीय डॉक्टरों ने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने समय रहते लॉक डाउन को अमल में लाकर एक बड़ी आबादी को संक्रमित होने से बचा लिया। डाक्टरो ने बताया कि भारत के नागरिक कानून के पालन करने वाले लोग हैं, जबकि अमेरिका में लॉक डाउन को लोगो ने हल्के में लिया, जिसका नतीजा सबके सामने है।

उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका में बड़ी संख्या में बूढ़े और पहले से बीमारियों से ग्रसित रहे लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। डाक्टरो ने यह भी बताया कि वो अमेरिका में कोरोना पीड़ितों का कैसे इलाज कर रहे हैं। उपचार करते व़क्त किन बातों पर ध्यान रखी जानी चाहिये।

इस बैठक में बिहार और झारखण्ड के डॉक्टर भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़े और अपना अनुभव साझा किया।

बैठक में रांची से जुड़े डॉक्टर डॉ सुबीर कुमार पॉल ने आइएएनएस को बताया, अमेरिका के डॉक्टर इस बात से हैरान हैं ,कि हम लोगों ने किस तरह इस बीमारी को रोक कर रखा है? इस पर केन्द्रीय मंत्री ने विस्तार से जानकारी दी और बताया कि जनवरी में ही प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर पूरी तैयारी हो गयी थी। इसी तैयारी का हिस्सा था ,कि हमने फरवरी में विदेशो से फंसे लोगों को बाहर निकाल लिया था।

उन्होंने बताया कि ज्यादातर डॉक्टर ये जानने को इच्छुक थे ,कि किस कदर आदिवासी इलाका इस वायरस से अछूता रहा। इस पर जनजतीय कल्याण मंत्री ने बताया, आदिवासी गांवों की बनावट ऐसी होती है कि यहां संक्रमण का फैलाव होना मुश्किल है। आदिवासी इलाकों में एक गांव में मुश्किल से 20 लोग होते हैं , घर दूर दूर बने होते हैं। आदिवासी समुदाय दूर दूर बैठते हैं और सबसे बड़ी बात ये अपनी मुखिया की बात जरूर मानते हैं। ये प्रकृति के पास रहते हैं और इनमें प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है।

डॉक्टर पॉल कहते हैं, कोरोना से सिर्फ 3 से 4 फीसदी मौत हो रही है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ रहा है । इनमें 60 फीसदी मॉर्टलिटी रेट है। लिहाजा इस वर्ग को बचाना होगा। युवाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इस तरह के बैठक से इस वायरस से लड़ने में जानकारी मिलती है। हम लोगों को बेहतर ढंग से बीमारी को समझ पाते हैं और एक दूसरे से अनुभव साझा करते हैं।

गौरतलब है इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अमेरिका, बिहार और झारखण्ड के 20 से ज्यादा डाक्टर शामिल हुये , जिमसें एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डाक्टर अविनाश गुप्ता और न्यूयॉर्क में भारत के कॉन्सुलेट जनरल संदीप चक्रवर्ती भी मौजूद रहे।

Created On :   12 May 2020 3:01 PM IST

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