तख्तापलट के आंदोलनकारियों का मकसद: ढाका में बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग के मुख्यालय पर कब्जा, पार्टी के असतित्व पर संकट

- अवामी लीग के अस्तित्व पर संकट
- 10 मंजिला इमारत पर आंदोलनकारियों का कब्जा
- सरकार ने अवामी लीग के सभी राजनीतिक कार्यक्रमों पर लगाया प्रतिबंध
डिजिटल डेस्क,ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में राजनीतिक तनाव बना हुआ है। तख्तापलट के बाद बनी अस्थायी सरकार में शेख हसीना का पतन होना शुरु हुआ। सरकार विरोधी ताकतें अब संगठित होकर पुराने सत्ता प्रतिष्ठानों को चुनौती देने में लगी हैं। अब बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग के अस्तित्व पर संकट आ गया है। आपको बता दें 1949 में बनी अवामी लीग की बांग्लादेश की आज़ादी में अहम भूमिका थी। अज्ञात समूह 10 मंजिला इमारत पर कब्जा कर विश्राम स्थल के रूप में उपयोग करना चाहता है। सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि अंतरराष्ट्रीय नामों वाले समूह स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करने लगे हैं।
अगस्त 2024 में विद्रोही गुटों ने शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया, हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा। उसके बाद बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के सभी राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी। सत्ता से बेदखल हुई अवामी लीग पार्टी की ऐतिहासिक धरोहर भी खतरे में हैं।
सियासी हलचलों के बीच आंदोलनकारियों के एक अज्ञात समूह ने अवामी लीग के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार समूह 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑन फासिज्म एंड जेनोसाइड' के बैनर तले काम कर रहा है। आपको बता दें अगले महीने की 5 तारीख यानि 5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से बेदखली की वर्षगांठ है।
आंदोलनकारी साफ तौर पर कह चुके हैं कि वे शेख हसीना और उनके पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ी हर स्मारक और प्रतीक को हटाएंगे। इससे पहले उन्होंने ढाका के धनमंडी स्थित बंगबंधु म्यूजियम (पूर्व में शेख मुजीब का आवास) को भी ढहा दिया था। प्रदर्शनकारियों ने पार्टी के कई कार्यलयों को आग के हवाले कर दिया था।
ढाका के बंगबंधु एवेन्यू स्थित अवामी लीग कार्यालय में हर दिन सफाई हो रही है, लेकिन ये कौन करवा रहा है,किसके आदेश में हो रही है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। भवन में प्रतिदिन 10-12 लोग साफ-सफाई कर रहे हैं। खबरों से मिली जानकारी के अनुसार एक स्थानीय पर्यवेक्षक शेखावत हुसैन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह इमारत फासीवादी शासन की निशानी है। इसे खाली कराकर हम नियंत्रण में ले रहे हैं ताकि यहां दोबारा फासीवाद जन्म न ले।
Created On :   27 July 2025 2:39 PM IST