बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था: एक अकेली महाशक्ति सब कुछ नहीं चला सकती है, छोटे देशों और विकासशील राष्ट्रों की आवाज को गंभीरता से सुना जाना चाहिए-जयशंकर

एक अकेली महाशक्ति सब कुछ नहीं चला सकती है, छोटे देशों और विकासशील राष्ट्रों की आवाज को गंभीरता से सुना जाना चाहिए-जयशंकर
बड़े देशों के साथ ही नहीं ,वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ भी मिलकर काम कर सकता है भारत

डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रिश्ते को मजबूत करने के मकसद से दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बीते दिन काफी देर तक चर्चा हुई।

भारत व्यापार में बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था (multipolarity) के पक्ष में है। एक अकेली महाशक्ति सब कुछ नहीं चला सकती है। छोटे देशों और विकासशील राष्ट्रों की आवाज को गंभीरता से सुना जाना चाहिए, इसके अलावा, जयशंकर का भाषण महासभा के सामान्य बहस के दौरान विकासशील देशों के हित, अंतरराष्ट्रीय न्याय, सतत विकास लक्ष्य (SDGs), जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर केंद्रित होगा। भारत यह दिखाना चाहेगा कि वह सिर्फ बड़े देशों के साथ नहीं बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के साथ मिलकर काम कर सकता है।

आपको बता दें भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्यम जयशंकर न्यूयॉर्क, 23 सितंबर 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 80वीं सत्र में हिस्सा लेने अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंचे हैं, जहां उनकी मुलाकात अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से हुई।

जयशंकर ने X पर लिखा, 'रुबियो से न्यूयॉर्क में मिलकर अच्छा लगा। रुबियो ने भी एक्स पर लिखा, 'जयशंकर के साथ व्यापार, ऊर्जा, दवाइयों और महत्वपूर्ण खनिज जैसे क्षेत्रों में भारत-अमेरिका रिश्तों को और मजबूत करने पर बात हुई। इससे दोनों देशों में खुशहाली बढ़ेगी।


Created On :   23 Sept 2025 2:14 PM IST

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