चीन में मिले नए वायरस लैंग्या से 35 लोग संक्रमित, लीवर और किडनी पर डालता है असर
- लैंग्या हेनिपावायरस का कोई महत्वपूर्ण स्थानिक या अस्थायी क्लस्टरिंग अब तक नहीं मिला है
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। दुनिया से कोविड-19 वायरस का खात्मा अभी तक नहीं हो पाया है और इस बीच चीन में एक और वायरस के मामले आने शुरू हो गए हैं। चीन में एक नया वायरस लैंग्या मिला है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। चीन ने लैंग्या हेनिपावायरस नाम के एक नए जूनोटिक वायरस का पता लगाया है, जिससे लीवर और किडनी में गंभीर संक्रमण होने की संभावना है। चीन और सिंगापुर के वैज्ञानिकों द्वारा न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, लगभग 35 लोग इससे प्रभावित हुए हैं।
अध्ययन से पता चला है कि पूर्वी चीन में जानवरों के संपर्क के हालिया इतिहास के साथ ज्वर (बुखार) के रोगियों के गले में खराश के नमूने में नए लैंग्या हेनिपावायरस (एलवाईवी) की पहचान की गई है। बाद की जांच में नए प्रकार के हेनिपावायरस लैंग्या से चीन के शेडोंग और हेनान प्रांतों में लोगों को संक्रमित पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हेनिपावायरस को लैंग्या हेनिपावायरस, एलएवी (ले-वी) भी कहा जाता है। यह पूर्वी चीन में बुखार वाले रोगियों के गले से लिए गए सैंपल में पाया गया है। चीन के शेडोंग और हेनान प्रांतों में तीव्र ले-वी संक्रमण वाले 35 रोगियों की पहचान की गई, जिनमें से 26 केवल ले-वी से संक्रमित थे (कोई अन्य रोगजनक मौजूद नहीं)।
इन 26 मरीजों में बुखार (100 फीसदी मरीज), थकान (54 फीसदी), खांसी (50 फीसदी), एनोरेक्सिया (50 फीसदी), माइलियागिया (46 फीसदी), जी मिचलाना (38 फीसदी), सिरदर्द (35 प्रतिशत), उल्टी (35 प्रतिशत), थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की दिक्कत (35 प्रतिशत), ल्यूकोपेनिया (54 प्रतिशत), यकृत संबंधी दिक्कत (35 प्रतिशत) और गुर्दे संबंधी समस्या (8 प्रतिशत) जैसे लक्षण देखे गए हैं। रोगियों के बीच कोई निकट संपर्क या सामान्य जोखिम इतिहास भी नहीं पाया गया, जिससे पता चलता है कि मानव आबादी में संक्रमण छिटपुट या कहीं-कहीं हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 15 करीबी संपर्क वाले परिवार के सदस्यों के साथ 9 रोगियों के संपर्क अनुरेखण से कोई निकट-संपर्क ले-वी संचरण का पता नहीं चला, हालांकि ले-वी के लिए मानव-से-मानव संचरण की स्थिति निर्धारित करने के लिए नमूना आकार (सैंपल साइज) बहुत छोटा है। शंघाई स्थित मीडिया दपेपर डॉट सीएन की रिपोर्ट में बताया गया है कि हेनिपावायरस एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जूनोसिस के महत्वपूर्ण उभरते कारणों में से एक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, हेनिपावायरस जानवरों और मनुष्यों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और इसे जैव सुरक्षा स्तर 4 वायरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें मृत्यु दर कोरोनावायरस से कहीं अधिक 40-75 प्रतिशत के बीच है। वर्तमान में हेनिपावायरस के लिए कोई टीका या उपचार नहीं है और जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए एकमात्र उपचार सहायक देखभाल है।
ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल में उभरते संक्रामक रोगों के कार्यक्रम में प्रोफेसर वांग लिनफा ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि लैंग्या हेनिपावायरस के मामले अब तक घातक या बहुत गंभीर नहीं हैं, इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वांग ने कहा कि हालांकि, यह अभी भी चिंता का कारण है क्योंकि प्रकृति में मौजूद कई वायरस मनुष्यों को संक्रमित करते समय अप्रत्याशित परिणाम देते हैं।
लैंग्या हेनिपावायरस का कोई महत्वपूर्ण स्थानिक या अस्थायी क्लस्टरिंग अब तक नहीं मिला है, जिसका अर्थ है कि वायरस का मानव-से-मानव संचरण सिद्ध नहीं हुआ है, हालांकि पिछली रिपोटरें से पता चलता है कि वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंच सकता है।
फुडन विश्वविद्यालय से संबद्ध हुशान अस्पताल के संक्रामक रोगों के विभाग में उप मुख्य चिकित्सक वांग शिन्यू ने कहा, कोरोनावायरस दुनिया भर में एक महामारी का कारण बनने वाला अंतिम संक्रामक रोग नहीं होगा, क्योंकि नए संक्रामक रोगों का मानव दैनिक जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ने वाला है।
(आईएएनएस)
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Created On :   10 Aug 2022 9:30 PM IST