अफगान तालिबान ने पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन टीटीपी से बनाई दूरी
- पाक का तालिबान अफगान तालिबान से अलग
डिजिटल डेस्क, काबुल। इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (आईईए) की सत्ता पर काबिज अफगान तालिबान ने पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन के हालिया दावों से खुद को दूर कर लिया है, जो आईईए की एक शाखा होने का दावा कर रहा है।
अफगान तालिबान की ओर से बयान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के एक हालिया बयान बाद सामने आया है, जिसमें उसने दावा किया था कि संगठन आईईए की एक शाखा है और टीटीपी को आईईए के तहत संचालित किया जा रहा है।
नूर वली महसूद ने एक वीडियो में कहा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की एक शाखा है और इस भूमि पर उस छत्र का हिस्सा है। हालांकि टीटीपी के दावे को आईईए के प्रवक्ता ने खारिज कर दिया, जिन्होंने कहा कि टीटीपी इसका हिस्सा नहीं है। अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा वे एक संगठन के रूप में आईईए का हिस्सा नहीं हैं और हम समान उद्देश्यों को साझा नहीं करते हैं। मुजाहिद ने कहा हम टीटीपी को अपने देश में शांति और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वे दुश्मनों को क्षेत्र और पाकिस्तान में हस्तक्षेप करने के किसी भी मौके को रोक सकें। इसके अलावा हम पाकिस्तान से क्षेत्र और पाकिस्तान की बेहतरी के लिए उनकी मांगों पर गौर करने का अनुरोध करते हैं। टीटीपी पाकिस्तान के आंतरिक मामले से निपटने के मुद्दे पर मुजाहिद ने स्पष्ट किया कि आईईए ने पहले ही कहा है, यह दूसरे देश के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेग। उन्होंने कहा हम पाकिस्तान के मामलों में दखल नहीं देते।
आईईए ने टीटीपी के स्वामित्व की अस्वीकृति ऐसे समय में की है, जब उसने पाकिस्तान और आतंकवादी समूह के बीच मध्यस्थता वार्ता और बातचीत को स्वीकार किया है, जिसके कारण महीने भर का संघर्ष विराम भी हुआ था। यह अफगान तालिबान की मध्यस्थता थी जिसने नवंबर के दौरान युद्धविराम को सुगम बनाया और अमल में लाया, जिसे बाद में टीटीपी ने आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच समझौते के अनुसार दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि आईईए एक मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा और दोनों पक्ष पांच-सदस्यीय समितियां बनाएंगे, जो पर्यवेक्षण के तहत भविष्य की कार्रवाई और मांगों पर चर्चा करेगी। आईईए के मध्यस्थ के रूप में यह प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सहमति बनी थी।
1 नवंबर से 30 नवंबर तक चलने वाले इस संघर्ष विराम समझौते में टीटीपी के कम से कम 102 कैद आतंकवादियों को रिहा करने की सहमति शामिल थी जिन्हें आईईए के माध्यम से टीटीपी को सौंप दिया जाएगा। लेकिन टीटीपी का दावा है कि पाकिस्तान सरकार अपने निर्णयों को लागू करने में विफल रही और उसने छापेमारी करने, टीटीपी आतंकवादियों को हिरासत में लेने और मारने का विकल्प चुना है। टीटीपी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, इन परिस्थितियों में संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना संभव नहीं है। आईईए ने बेशक खुद को टीटीपी से दूर कर लिया है, मगर यह एक ज्ञात तथ्य है कि टीटीपी अफगान तालिबान की एक छत्र शाखा रही है और देश में उसी के तहत संचालित है।
टीटीपी से खुद को दूर करने के आईईए के फैसले को टीटीपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा सकता है, क्योंकि पाकिस्तान समूह के खिलाफ एक बड़ा आक्रमण शुरू कर सकता है। दूसरी ओर पिछली वार्ता को देखते हुए आईईएदोनों पक्षों के साथ बैक चैनलों के माध्यम से प्रयास करना और संलग्न करना जारी रख सकता है और समूह के आधिकारिक स्वामित्व के बिना, किसी अन्य समझौते पर पहुंचने में चुपचाप उनकी मदद की जा सकती है।
(आईएएनएस)
Created On :   13 Dec 2021 9:30 PM IST