15 August : आज ही के दिन इस देश को भी मिली थी साम्राज्यवादी ताकतों से आजादी

August 15: The day of the fall of imperialist forces
15 August : आज ही के दिन इस देश को भी मिली थी साम्राज्यवादी ताकतों से आजादी
15 August : आज ही के दिन इस देश को भी मिली थी साम्राज्यवादी ताकतों से आजादी

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी। इसके बाद भारत को एक स्वतंत्र देश घोषित किया गया था। इस साल भारत 74वां स्वंतत्रता दिवस मनाने जा रहा है। साम्राज्यवादी ताकत से भारत को आजादी मिली और इस आजादी को दिलाने में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहम भूमिका रही। इस तरह 15 अगस्त, 1947 को साम्राज्यवादी ताकत के पतन के रूप में भी देखा जाता है, लेकिन आज से 75 साल पहले 15 अगस्त के दिन ही एक और साम्राज्यवादी ताकत का पतन हुआ था, वो था जापान। भारत को आजादी मिलने से 2 साल पहले 15 अगस्त, 1945 को जापान ने अपने घुटने टेक दिये थे, और इस तरह साम्राज्यवादी जापान के साथ-साथ दूसरा विश्व युद्ध भी खत्म हो गया।

15 अगस्त, 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया, कुछ जापानी सैनिकों ने तो आत्महत्या भी कर ली, और द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया। उससे पहले अमेरिका ने हिरोशिमा पर 6 अगस्त को और नागासाकी पर 9 अगस्त को लिटिल ब्वॉय नामक परमाणु बम गिराया था। जाहिर है, यह एक तरह से साम्राज्यवादी जापान के अंत का दिन था। जापान का हिरोशिमा जिस परमाणु बम हमले से थरार्या था उसकी चपेट में आकर लगभग 1,40,000 लोगों की जान जाने का अनुमान है। जो लोग जीवित बचे वे आज भी उस धमाके की याद भर से थर्रा जाते हैं।

वैसे जापान ने भी कम क्रुरता नहीं की। उसने उन्माद में आकर 7 दिसंबर, 1941 को प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर धुंआधार बमबारी की और अमेरिका को खुली चुनौती दे दी। जापान का यह उकसावा अमेरिका के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध में कूद पड़ने का खुला न्यौता बन गया। इसके अलावा, जापान की सेना ने चीन पर भी काफी जुल्म ढाए। जापानी सेना ने चीन में महिलाओं पर काफी अत्याचार किए।

दरअसल, जापान ने सितंबर 1931 में पूर्वोत्तर चीन पर हमला किया और 7 जुलाई, 1937 तक समूचे चीन पर हमला कर दिया। इस युद्ध में लगभग 3.5 करोड़ चीनी सैनिक और आम नागरिक मारे गये और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। इस दौरान जापानी सैनिकों ने लगभग 2 लाख महिलाओं को यौन गुलामी में धकेल दिया। उस दौरान इन महिलाओं को कंफर्ट वुमन कहा गया। इनमें से आज मुट्ठीभर महिलाएं ही जीवित हैं, जिनमें से कुछ ही महिलाओं ने कंफर्ट वुमन होने की बात स्वीकारी है। लेकिन हजारों महिलाएं ऐसी थी, जिन्हें इस असहनीय दुख और पीड़ा के लिए जापान से कोई माफी और मुआवजा नहीं मिला और उनकी मौत के साथ ही यह राज दफ्न हो गया।

जापानी आक्रमणकारियों द्वारा हिंसा के इन भयावह और संस्थागत कार्यो को मानव सभ्यता इतिहास में मुश्किल से ही देखा जा सकता है। ये इतिहास के सर्वाधिक दर्दनाक अध्यायों में से एक हैं। खैर, 15 अगस्त, 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर अपनी साम्राज्यवादी सोच का अंत किया। हमें किसी भी हाल में इस दर्दनाक अतीत को फिर से दोहराने का मौका नहीं देना चाहिए।

Created On :   14 Aug 2020 3:31 PM GMT

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