हिंसा के लिए रोहिंग्या चरमपंथी जिम्मेदार, समाधान निकालेंगे : सू की

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। म्यांमार में रोहिंग्या संकट पर चुप्पी तोड़ते हुए स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि वो अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आएंगी। वो जानती हैं कि पूरी दुनिया की नजरें फिलहाल रखाइन राज्य में जारी हिंसा के बाद रोहिंग्या मुस्लिमों के पलायन पर टिकी हुई हैं। लेकिन उन्होंने इस हिंसा के लिए पिछले साल भर में रोहिंग्या चरमपंथियों की तरफ से हो रहे हमलों को भी जिम्मेदार बताया। सू की ने कहा कि म्यांमार एक मिश्रित राज्य है। लोग हमसे अपेक्षा रखते हैं कि हम हर समस्या से कम समय में उन्हें उबारेंगे। हम मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करते हैं, लेकिन रखाइन राज्य में स्थाई समाधान के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि हमने 70 सालों की लड़ाई के बाद शांति और स्थायित्व प्राप्त किया है और बांग्लादेश जा रहे मुस्लिमों की हम चिंता करते हैं, लेकिन देश छोड़ कर भाग रहे मुसलमानों से हम बात करना चाहेंगे कि अगर वो निर्दोष हैं तो आखिर वो ऐसा क्यों कर रहें हैं। रखाइन में शांति स्थापित करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि कई ग्रामीण मुस्लिमों ने पलायन नहीं किया है।
Aung San Suu Kyi leaves after delivering speech on national security and vowing to find "new ways" to solve problems https://t.co/Xas0oi8dMw pic.twitter.com/61AncuJLId
— Pichayada P. (@PichayadaCNA) September 19, 2017
वेरिफिकेशन के बाद होगी रोहिंग्या की वापसी
सू की ने अपने भाषण में रखाइन प्रांत में अराकान इलाके में रह रहे कुछ रोहिंग्या मुसलमानों पर हुई कार्रवाई को सही करार दिया। उन्होंने ये तो कहा कि किसी भी तरह से मानवाधिकार का उल्लंघन ठीक नहीं है, लेकिनवो कुछ रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवादी बताने से भी नहीं चूकीं। उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के एक वर्ग पर पुलिस बलों पर हमले और देश विरोधी काम करने का आरोप लगाया। सू की ने कहा कि जो लोग म्यांमार में वापस आना चाहते हैं, हम उनके लिए हम रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
सू की ने आगे कहा कि रखाइन इलाके में सिर्फ मुसलमान नहीं रहते वहां बौद्धों पर हमले कराए गए। सू की ने कहा कि हमारे सुरक्षाबल हर हालात और आतंकी खतरे से निपटने में सक्षम है। सू की ने कहा कि रोहिंग्या ने म्यांमार में हमले कराए हैं। म्यामांर की सामाजिक स्थिति काफी जटिल है। हम जल्द ही हर तरह की समस्या का सामना करेंगे। सरकार शांति की ओर बढ़ने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।
दोषियों को मिलेगी सजा
सू की ने कहा कि हमने रखाइन स्टेट में शांति स्थापित करने के लिए केंद्रीय कमेटी बनाई है। हम इस क्षेत्र में शांति और विकास के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या के मुद्दे पर हमारे ऊपर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं, हम सभी आरोपों को सुनेंगे। जो भी दोषी होगा उसे सजा जरूर दी जाएगी।
वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने बैठक से पहले कहा कि सू ची के पास हिंसा रोकने का ये आखिरी मौका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों की घर वापसी म्यांमार सरकार की जिम्मेदारी है। रोहिंग्या मुद्दे पर चौतरफा दबाव के बीच सू ची संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भाग लेने नहीं पहुंचीं हैं।
भारत ने भी रोहिंग्या मुस्लिमानों को बताया खतरा
रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर भारत सरकार ने भी 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। इस हलफानामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं।
सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है। वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिए पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।
रोहिंग्या कौन हैं?
म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है। म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। हालांकि ये म्यांमार में पीढ़ियों से रह रहे हैं। रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।
क्या कर रही हैं आंग सान सू की?
आंग सान सू की म्यांमार की वास्तविक नेता हैं, हालांकि देश की सुरक्षा आर्म्ड फोर्सेज के हाथों में है। अगर सू की अंतराष्ट्रीय दवाब में झुकती हैं और रखाइन स्टेट को लेकर कोई विश्वसनीय जांच कराती हैं तो उन्हें आर्मी से टकराव का जोखिम उठाना पड़ सकता है।







Created On :   19 Sept 2017 10:56 AM IST